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ब्रह्मोस मांग रहे कई देश, केवल रक्षात्मक संस्करण देगा भारत

भारत निर्यात के लिए ब्रह्मोस का केवल भूमि से समुद्र संस्करण पेशकश कर रहा है. इस तथ्य को रेखांकित करते हुए कि इसका उपयोग केवल सुरक्षात्मक उद्देश्यों के लिए किया जा सके. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

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ब्रह्मोस

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Published : Nov 25, 2020, 9:49 PM IST

Updated : Nov 26, 2020, 1:51 AM IST

नई दिल्ली :दुनिया भर के कई देशों ने घातक ब्रह्मोस को खरीदने में गहरी दिलचस्पी व्यक्त की है. हालांकि, भारत अभी केवल सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के रक्षात्मक संस्करण की ही पेशकश कर रहा है. ईटीवी भारत को मामले के जानकार एक सूत्र ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका से लेकर दक्षिण पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका तक के कई देशों ने भारत से ब्रह्मोस के लिए संपर्क किया है. भारत अभी केवल जमीन से समुद्र में मार करने वाली मिसाइल ही बेच रहा है.

हाइपरसोनिक संस्करण भी विकसित हो रहा

जमीन से समुद्र में मार करने वाली मिसाइल को रक्षात्मक माना जाता है. यह हथियार खरीदार की सुरक्षा और आत्मरक्षा के लिए है. विमान, जहाज या पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली मिसाइलों को हमला करने वाली मिसाइलें माना जाता है. ब्रह्मोस के कई संस्करण हैं. जमीन, समुद्र और हवा से लॉन्च होने में सक्षम होने के अलावा एक हाइपरसोनिक संस्करण भी विकसित किया जा रहा है. इसकी गति मैक 7-8 होने की संभावना है.

कई देशों के साथ चल रही बातचीत

मीडिया में हाल में रिपोर्ट आई थी कि फिलीपींस ब्रह्मोस का पहला ग्राहक होगा. इस पर सूत्र ने कहा कि हम कई देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं. कोरोना महामारी ने कई चीजों को रोक दिया है. जहां तक ​​फिलीपींस का संबंध है, डिलीवरी होने तक कुछ भी अंतिम रूप से नहीं कहा जा सकता.

सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में ब्रह्मोस

मंगलवार को भारतीय सेना ने ब्रह्मोस का 'टॉप-अटैक' या 'वर्टिकल डीप-डाइव' कंफिगरेशन में सफलतापूर्वक परीक्षण किया. यह संस्करण उत्तर में हिमालय की तरफ ऊंचाई वाले इलाकों में बेहद प्रभावी होगा. लगभग 450 किमी की स्ट्राइक रेंज के साथ 3 टन के ब्रह्मोस को सबसे तेज क्रूज मिसाइलों में माना जाता है. यह दागो और भूल जाओ सिद्धांत पर काम करती है. इसकी टॉप स्पीड 2.8 मैक (3,347 किमी प्रति घंटा) है. यह 300 किलोग्राम का वॉरहेड ले जाने में सक्षम है.

इस सप्ताह होंगे दो या तीन और परीक्षण

ब्रह्मोस और अन्य मिसाइल प्रणालियों के विभिन्न संस्करणों के लगातार हो रहे परीक्षणों के बीच सूत्र ने कहा कि इस सप्ताह के लिए दो या तीन और परीक्षणों की योजना है. ये सभी परीक्षण सेना, नौसेना और वायुसेना के विभिन्न लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए किए जा रहे हैं.

भारत और रूस ने मिलकर बनाया

ब्रह्मोस का निर्माण भारत सरकार के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और रूस के स्वामित्व वाली एनपीओ माशीनोसत्रोयेनिया के बीच 1998 में स्थापित एक संयुक्त उद्यम के तहत किया जाता है. ब्रह्मोस का नाम भारत की नदी ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा नदी को मिलाकर रखा गया है. सभी ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण भारत में ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा किया जाता है. इसमें भारत का 50.5 प्रतिशत हिस्सा है और रूस का 49.5 प्रतिशत हिस्सा है.

बिक्री से मिलने वाला संपूर्ण राजस्व अनुसंधान में लगेगा

ब्रह्मोस की बिक्री से मिले संपूर्ण राजस्व को अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) गतिविधि के लिए अलग रखा जाना है ताकि मिसाइल को और विकसित किया जा सके. इसे तकनीकी रूप से उन्नत बनाया जा सके. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ब्रह्मोस भारत की शक्ति में एक नया आयाम जोड़ेगा.

Last Updated : Nov 26, 2020, 1:51 AM IST

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