नई दिल्ली: कोविड-19 दवाओं को तेजी से मंजूरी देने के उद्देश्य से भारत के शीर्ष दवा नियामक (डीसीजीआई) ने मायलन, सिप्ला, जुबिलेंट, हेटेरो लैब्स लिमिटेड, बायसफर क्लीनिकल रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड सहित छह फार्मा कंपनियों को अलग-अलग दवाओं के लिए अंतिम पत्र प्रस्तुत करने को कहा है. हाल ही में हुई एक बैठक में ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) की विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने रेमिडीविर 100एमजी/ शीशी इंजेक्शन की आगे की समीक्षा के लिए बाजार प्राधिकरण की स्थिति के अनुसार पोस्ट मार्केटिंग सर्विलांस (पीएमएस) प्रोटोकॉल प्रस्तुत करने के लिए मायलन और जुबिलेंट को कहा है.
कोवासिन व जाइडस कैडिला का चल रहा चरण II परीक्षण
बैठक में सिप्ला ने रेमिडीविर 100एमजी/ शीशी इंजेक्शन की पोस्ट मार्केटिंग निगरानी के लिए प्रोटोकॉल प्रस्तुत किया. डीसीजीआई के अधिकारियों ने कहा कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद समिति ने प्रस्तावित अध्ययन के संचालन के लिए 28 दिनों की अवधि देने की सिफारिश की. एसईसी ने बायसफर क्लीनिकल रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित पीएनबी 001 दवाओं के द्वितीय चरण के नैदानिक परीक्षण की भी सिफारिश की है. एसईसी ने कोविड-19 श्वसन रोग के हल्के और मध्यम मामलों को दर्ज करके एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स के प्रस्तावित नैदानिक परीक्षण का संचालन करने के लिए एम्स रायपुर की सिफारिश की है. इस बीच भारत बायोटेक के कोवैक्सिन चरण I का परीक्षण गैर-मानव प्रधानों में सुरक्षात्मक प्रभावकारिता और प्रतिरक्षात्मकता को प्रदर्शित करता है.