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भारत के वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर एक नजर...

भारत में कुल 22 वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं, जिनकी इंस्टॉलेशन क्षमता 6780 मेगावॉट है और ये बिजली संयंत्र भारत के परमाणु ऊर्जा निगम द्वारा चलाए जाते हैं. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने भविष्यवाणी की कि भारत 43,500 मेगावॉट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करेगा, लेकिन 1980 तक भारत लगभग 600 मेगावॉट स्थापित करने में सक्षम था और 2000 तक यह 2,720 मेगावॉट तक पहुंच गया. आइए जानते हैं भारत के परमाणु क्षेत्र और अन्य देशों के साथ भारत द्वारा किए गए परमाणु समझौतों के बारे में...

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भारत के वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों पर एक नजर

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Published : Jul 16, 2020, 11:11 PM IST

हैदराबाद : भारत और यूरोपीय संघ ने असैन्य परमाणु ऊर्जा में एक करीबी सहयोग के लिए 13 साल की बातचीत के बाद एक नागरिक परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. भारत और चीन एकमात्र दो देश हैं जो अपनी परमाणु उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं. अन्य देशों की अगर बात करें, तो उन्होंने परमाणु ऊर्जा पर अपने हिस्से को या तो रोक दिया है, या काफी कम कर दिया है.

भारत परमाणु ऊर्जा क्षेत्र पर एक नजर :

भारत में कुल 22 वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्र हैं, जिनकी इंस्टॉलेशन क्षमता 6780 मेगावॉट है और ये बिजली संयंत्र भारत के परमाणु ऊर्जा निगम द्वारा चलाए जाते हैं.

भारत ने 9000 मेगावॉट (MW) की कुल 12 परमाणु ऊर्जा रिएक्टर बनाने की योजना बनाई है. इनमें से 6,700 मेगावॉट के नौ रिएक्टर निर्माणाधीन हैं. केंद्र ने पांच स्थानों पर 25,248 मेगावाट कुल परमाणु क्षमता के निर्माण को भी हरी झंडी दे दी है.

भारत परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य :

परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने फरवरी में संसद को बताया कि 6,780 मेगावॉट की मौजूदा परमाणु ऊर्जा क्षमता को 2031 तक बढ़ाकर 223180 मेगावॉट करने का प्रस्ताव रखा गया है.

परमाणु ऊर्जा अनुमान और वास्तविकताएं

  • आईएईए (अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) ने भविष्यवाणी की कि भारत 43,500 मेगावाट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करेगा, लेकिन 1980 तक भारत लगभग 600 मेगावॉट स्थापित करने में सक्षम था और 2000 तक यह 2,720 मेगावॉट तक पहुंच गया.
  • एनपीसीएल (न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड) का अनुमान, 2020 तक 20 और 2032 तक 60 गीगावॉट था. 2010 में यह बदल गया और बढ़कर 2011 में 63 गीगावॉट हो गया था.
  • अमेरिका के साथ परमाणु समझौते और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह द्वारा दी गई छूट के बाद और फ्रांस, रूस, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूनाइटेड किंगडम और जापान जैसे देशों के साथ सहयोग कर डीएई (परमाणु ऊर्जा विभाग) ने 2052 तक 470 गीगावॉट बिजली का उत्पादन करने का अनुमान लगाया.
  • एनडीए सरकार ने उच्च अनुमानों के पैटर्न में भी यह अनुमान लगाया कि भारत 2032 तक 63,000 मेगावॉट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करेगा, लेकिन एनपीसीआईएल के आंकड़ों के अनुसार, भारत वर्तमान में केवल 6,780 मेगावॉट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करता है, जो 22 रिएक्टरों द्वारा उत्पन्न होता है.

परमाणु ऊर्जा उत्पादन (2010-11 से 2020-21)

साल Gross Generation (MUs)
(मिलियन यूनिट)
2020-21 (मई 2020 तक) 7658
2019-20 46472
2018-19 37813
2017-18 38336
2016-17 37674
2015-16 37456
2014-15 37835
2013-14 35333
2012-13 32863
2011-12 32455
2010-11 26472

परमाणु ऊर्जा संयंत्र- राज्यवार आंकड़े :

राज्य संयंत्र यूनिट क्षमता (मेगावॉट)
महाराष्ट्र तारापुर परमाणु ऊर्जा स्टेशन 4 1400
राजस्थान राजस्थान परमाणु ऊर्जा स्टेशन 6 1180
तमिलनाडु मद्रास परमाणु ऊर्जा स्टेशन 2 440
कर्नाटक काइगा जनरेटिंग स्टेशन (KGS) 4 880
तमिलनाडु कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा स्टेशन (KKNPS) 2 2000
उत्तर प्रदेश नरौरा परमाणु ऊर्जा स्टेशन 2 440
गुजरात काकरापार परमाणु ऊर्जा स्टेशन 2 440
22 6870 (मेगावॉट)

अन्य देशों के साथ भारत के सिविल परमाणु समझौते:

(2019 के अनुसार) भारत ने अमेरिका, फ्रांस, रूस, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका, यूके, जापान, वियतनाम, बांग्लादेश, कजाकिस्तान, दक्षिण कोरिया और चेक गणराज्य के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए.

भारतीय परमाणु ऊर्जा के सपने को साकार करने में चुनौतियां

  • परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को पूरा करने में देरी.
  • परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं को पूरा करने में देरी का भारत का लंबा इतिहास रहा है.
  • तमिलनाडु में कुडनकुलम बिजली परियोजना के शुरुआती रिएक्टरों को बिजली पैदा करने में 30 साल से अधिक का समय लगा.

कुछ अन्य परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की स्थिति

महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में 9,900 मेगावॉट की उत्पादन क्षमता के साथ प्रस्तावित जैतापुर परमाणु ऊर्जा परियोजना का निर्माण 2010 में शुरू होना था, लेकिन यह अभी शुरू नहीं हुआ है

काकरापार और राजस्थान के रिएक्टर भी तय समय से पीछे हैं.

कुडनकुलम में इकाइयों III और IV ने हाल ही में निर्माण शुरू किया है.

क्या कहती है CAG की रिपोर्ट ?

भारत में परमाणु परियोजनाओं की लागत उनके प्रारंभिक अनुमानों से अधिक है.

कुडनकुलम परियोजना की इकाइयों I और II की अनुमानित लागत 13,171 करोड़ रुपए थी, जो बाद में यानी 2014 में बढ़कर 22,462 करोड़ हो गई.

देरी के अन्य कारण भी हैं, जैसे :

  • उपकरणों की आपूर्ति में देरी
  • विदेशों में सहयोग करने वाले साझेदार द्वारा काम करना
  • डिजाइन में बदलाव
  • निर्माण में देरी

परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन

तमिलनाडु :

कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के खिलाफ बड़े पैमाने पर आंदोलन.

कुडनकुलम में 8952 लोगों पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया और 11,000 लोगों पर राज्य के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया. आंदोलन में चार लोगों की जान चली गई.

महाराष्ट्र :

महाराष्ट्र में जैतपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना.

प्रस्तावित परियोजना का विरोध करते हुए 2 लोगों की जान चली गई.

आंध्र प्रदेश :

लोगों ने आंध्र प्रदेश के कोवड़ा में प्रस्तावित संयंत्र का भी विरोध किया है, जहां 6,600 मेगावॉट का परमाणु ऊर्जा केंद्र बनाया जाना है.ॉ

हरियाणा :

गोरखपुर, हरियाणा में, किसानों ने प्रस्तावित 2,800 मेगावॉट परमाणु ऊर्जा संयंत्र के खिलाफ रैली की है.

मध्य प्रदेश :

मध्य प्रदेश के चुटका में, स्थानीय लोग 1,400 मेगावॉट की परियोजना का विरोध कर रहे हैं.

गुजरात :

गुजरात के मीठी विरदी में, प्रस्तावित 6,000 मेगावॉट की परियोजना को किसानों के विरोध के कारण स्थानांतरित कर दिया गया है.

कर्नाटक :

कर्नाटक में कैगा जनरेटिंग स्टेशन (KGS) में अतिरिक्त इकाइयों के निर्माण का भी विरोध किया गया है.

पश्चिम बंगाल :

पश्चिम बंगाल सरकार ने भी हरिपुर में परमाणु संयंत्र बनाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है.

क्या हैं लोगों की मुख्य चिंताएं ?

  • परमाणु शक्ति को लेकर सुरक्षा के बारे में चिंता.
  • फुकुशिमा आपदा के बाद से चिंता.
  • भूमि के लिए पर्याप्त मुआवजा.
  • जीवन और आजीविका के नुकसान को लेकर परेशान लोग.

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