रांची: असम की तर्ज पर झारखंड में भी नेशनल रजिस्टर्ड सिटीजन (एनआरसी) बनाने का काम शुरू किया जाएगा. रांची में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बताया कि देश और झारखंड के मुसलमानों का हक मारने वाले घुसपैठियों को बाहर निकालना बेहद जरूरी है.
एनआरसी के लिए लिखा गया है पत्र
मुख्यमंत्री रघुवर दास मंगलवार को बताया कि झारखंड में एनआरसी के तहत ही संबंधित जिलों में अध्ययन कर अवैध तरीके से रहने वाले बांग्लादेशियों को चिन्हित किया जाए, इसके लिए झारखंड सरकार ने पहले ही केंद्र को पत्र लिखा था. इस मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री ने भी घोषणा की है की पूरे भारत से घुसपैठियों को बाहर निकालने का काम किया जाएगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि झारखंड के मुसलमानों को उनका हक दिलाने के लिए यह जरूरी है कि झारखंड से बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर किया जाए.
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पीएफआई की है सक्रियता
झारखंड के चार जिले जहां बांग्लादेशियों के अवैध तरीके से बसने की जानकारी मिली है, वहां प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की सक्रियता रही है. पीएफआई को झारखंड सरकार ने फरवरी महीने में प्रतिबंधित किया था. बांग्लादेश के रास्ते जाली नोट का कारोबार भी झारखंड में फल फूल रहा है. झारखंड की एंटी टेररिस्ट स्क्वायड(एटीएस) द्वारा पाकुड़, साहिबगंज, जामताड़ा में जाली नोट के मॉड्यूल पर नजर रखी जा रही है. पीएफआई के अलावा इन जिलों में जमात उल मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) के संदिग्ध भी सक्रिय रहे हैं. राज्य पुलिस की विशेष शाखा जेएमबी की गतिविधियों को लेकर पहले ही सरकार को रिपोर्ट दे चुकी है.
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क्या है एनआरसी
असम में बांग्लादेशियों को चिन्हित करने के लिए साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल रजिस्टर्ड सिटीजन को अपडेट करने का काम शुरू किया गया था. एनआरसी के तहत 25 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश से यहां आने वाले लोगों को स्थानीय नागरिक माने जाने का प्रावधान है. एनआरसी में जिनके नाम नहीं होंगे उन्हें नागरिक नहीं माना जाएगा.