हैदराबाद : दूसरे विश्व युद्ध के बाद अमेरिका और रुस के बीच शुरू हुए शीत युद्ध के दौरान दुनिया भर में परमाणु हथियार सहित अन्य खतरनाक हथियार विशेषकर परमाणु हथियार हासिल करने की होड़ मच गई. हर देश परमाणु हथियार विकसित करना चाहता था. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका द्वारा जापान पर गिराए गए परमाणु बम ने जो तबाही मचाई, उसे हर किसी ने देखा था.
इसके मद्देनजर 1968 में परमाणु संधि (NPT) वजूद में आई, जिसे 1970 में लागू किया गया. इस संधि का प्रस्ताव आयरलैंड ने पेश किया था. उस समय केवल 46 देशों ने इस पर हस्ताक्षर किए थे. इस पर सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाला राष्ट्र फिनलैंड था. इस संधि को वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था की आधारशिला माना जाता है.
क्या है एनपीटी
एनपीटी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है, जिसका उद्देश्य परमाणु हथियारों और हथियारों की तकनीक के प्रसार को रोकना, परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग को बढ़ावा देना और परमाणु निरस्त्रीकरण और सामान्य और पूर्ण निरस्त्रीकरण को प्राप्त करने के लक्ष्य को आगे बढ़ाना है. इसका उद्देश्य परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाना भी है.
1970 में लागू हुई एनपीटी
1968 में इस संधि पर विश्व शक्तियों के साथ-साथ कई अन्य दोशों ने भी हस्ताक्षर किए. यह संधि 1970 में 25 वर्षों के लिए लागू की गई थी. 11 मई 1995 को, संधि को अनिश्चित काल के लिए बढ़ा दिया गया.
191 देश हो चुके हैं शामिल
इस संधि में अब तक कुल 191 राज्य शामिल हो चुके हैं. जिसमें अमेरिका, रुस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन भी शामिल हैं. ये सभी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं. संधि शांतिपूर्ण परमाणु प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देती है और सभी भागीदार देशों को शांति के लिए परमाणु प्रोद्यौगिकी का इस्तमाल करने के लिए सबको समान अधिकार देती है. हर पांच साल में संधि के संचालन की समीक्षा की जाती है.
भारत नहीं है संधि का हिस्सा
भारत 1970 में लागू की गई इस संधि का हिस्सा नहीं है. दरअसल, एनपीटी के तहत भारत को परमाणु संपन्न देश की मान्यता नहीं दी गई है. संधि के अनुसार परमाणु संपन्न देश का दर्जा केवल उन्हीं देशों को दिया गया है, जिन्होंने 1967 से पहले परमाणु परीक्षण किया हो, जबकि भारत ने पहली बार परमाणु परीक्षण 1974 में किया था. इसी भेदभाव के कारण भारत ने इस संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए. भारत के अलावा पाकिस्तान, इजराइल, दक्षिण सूडान और उत्तर कोरिया भी इसका हिस्सा नहीं है.