नई दिल्ली : जाहेदान रेल लिंक और चाबहार बंदरगाह परियोजना को लेकर ईरानी शासन और ट्रंप प्रशासन के बीच संबंध लगातार खराब होते जा रहे हैं. इस बीच भारत ने कहा है कि वह तेहरान को लेकर अमेरिकी लाइन को पर नहीं जा रहा है. तेहरान में भारत के दूत गद्दाम धर्मेंद्र ने ईरान के एक समाचार पत्र के वरिष्ठ पत्रकार से बातचीत करते हुए इस बात का दावा किया.
15 जुलाई को हुई बैठक की एक वीडियो क्लिप सामने आई थी, जिसमें धर्मेंद्र बताते हैं कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बीच स्थानीय ईरानी मुद्रा में व्यापार की सुविधा दे रहा है.
वर्तमान में, भारत ज्यादातर चाय, चावल और कुछ कार स्पेयर जैसी वस्तुओं का निर्यात ईरान को करता है, लेकिन अमेरिकी दबाव में इसके तेल आयात को लगभग शून्य कर दिया है.
सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान (सीबीआई) और यूको बैंक के साथ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ईरानी पक्ष के छह बैंक स्थानीय मुद्रा में व्यापार की सुविधा प्रदान कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अहम बात यह है कि से भारत ने अमेरिकियों से कहा है कि वे उन्हें यह नहीं बता सकते कि चाबहार में क्या करना है.
दबावों के संदर्भ में दूत ने कहा कि तथ्य यह है कि जैसे कि मैंने कहा कि हम एकमात्र देश हैं जो रुपी-रियाल व्यापार व्यवस्था जारी रख हुए हैं, जहां हम अपने देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का वित्तपोषण कर रहे हैं. तथ्य यह है कि हम चाबहार में काम कर रहे हैं, हम चाबहार के लिए उपकरण खरीद रहे हैं, हम चाबहार की तैयारी कर रहे हैं. हमने अमेरिकियों से कहा है कि वे हमें यह नहीं बता सकते कि चाबहार में क्या करना है.
उल्लेखनीय है कि तेहरान इस वीडियो को पहले तो टाइम्स द्वारा ट्वीट किया गया हालांकि बाद में हटा दिया गया. इस वीडियो में गद्दाम को यह बताते हुए दिखाया गया है कि दोनों देशों के बीच दिसंबर 2018 में हुए एक वार्षिक आधार समझौते या अंतरिम अनुबंध के तहत चाबहार के माध्यम से शिपमेंट में काफी वृद्धि हुई है.
भारतीय राजदूत ने कहा कि दिसंबर 2018 और 2019 के बीच अंतरिम अनुबंध में, एक साल में हमने शिपिंग बढ़ाकर 6000 टन कंटेनर, और दस लाख टन से अधिक बल्क कार्गो, चावल, चीनी, गेहूं, दोनों ईरान और अफगानिस्तान के लिए बढ़ाए. एक साल के भीतर यातायात बेहद विकसित हो गया है, लेकिन यह एक नया पोर्ट है. इसे विकसित होने में समय लगत सकता है.
ईरान के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक के साथ भारतीय दूत की चर्चा ऐसे समय में हुई है, जब तेहरान बीजिंग के साथ 25 साल के व्यापक सहयोग समझौते को पूरा करने के करीब है, जिसे विदेश मंत्री जावेद जरीफ कहते हैं कि यह पारदर्शी है.
राजदूत धर्मेंद्र ने यह भी उल्लेख किया कि चाबहार बंदरगाह के लिए उपकरणों के ऑर्डर तीसरे देशों को दिए गए हैं- इटली, फिनलैंड, जर्मनी और चीन इस साल अक्टूबर तक अपेक्षित डिलीवरी के साथ मुख्य आपूर्तिकर्ता हैं.