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उत्तर पूर्वी राज्यों और भूटान को बांग्लादेश के रास्ते मिलेगी इंटरनेट कनेक्टिविटी

भूटान का बहुप्रतीक्षित तीसरा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे विकास के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा. इससे उत्तर पूर्वी राज्यों और भूटान को बंग्लादेश के रास्ते मजबूत इंटरनेट कनेक्टिविटी मिलेगी. पढ़िए संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

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Published : Nov 23, 2020, 8:05 PM IST

नई दिल्ली : वर्षों की प्रतीक्षा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भूटानी समकक्ष डॉ. लोटे टीशेरिंग के साथ शुक्रवार को भूटान और उत्तर-पूर्व (एनई) भारतीय राज्यों को बहुत जल्द बांग्लादेश से इंटरनेट लिंक प्राप्त करने की घोषणा की गई.

पीएम मोदी ने शुक्रवार को एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान कहा था कि वह बीएसएनएल के साथ भूटान में तीसरा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे प्रदान करने के समझौते का दिल से स्वागत करते हैं.

राज्य के स्वामित्व वाली टेलीकॉम प्रमुख बीएसएनएल ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में लैंडिंग स्टेशन के साथ कनेक्टिविटी पहले ही स्थापित कर दी है, लेकिन उच्च लागत वाले मुद्दों के कारण इसे अधिकांश उत्तर-पूर्वी राज्यों तक नहीं बढ़ाया गया है.

मुंबई और चेन्नई के बाद फाइबर-ऑप्टिक केबल इंटरनेट लिंक भारत के लिए तीसरा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे होगा.

उत्तर-पूर्वी भारत क्षेत्र चेन्नई में उत्पन्न होने वाले केबलों के माध्यम से स्थलीय इंटरनेट नेटवर्क से जुड़ा हुआ है. उसी नेटवर्क का इस्तेमाल भूटान से जुड़ने के लिए किया जा रहा है.

भूटान के थिंपू में आईटी पार्क के सीईओ डॉ. टीशेरिंग सिगे ने ईटीवी भारत को बताया कि 2011 में बांग्लादेश, भारत और भूटान की सरकारों के बीच बातचीत शुरू हुई थी, उस समय भूटान का पहला कनेक्टिविटी आईटी पार्क प्रोजेक्ट इंटरनेट की विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार लाने के लिए पूरा होने वाला था. तब से इस मुद्दे को स्थानीय मीडिया द्वारा कवर किया जा रहा और यह सार्वजनिक जागरूकता और अपेक्षा बना हुआ है. लोगों ने अब सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि इसको पूरा करने के लिए इतना समय क्यों लग रहा है.

यह प्रोजेक्ट फूंट्सहोलिंग (भूटान में एक दक्षिण-पश्चिम सीमावर्ती शहर) और गेल्फू (एक दक्षिण-मध्य सीमा शहर) के बाद भूटान को तीसरा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे स्थापित करने में सक्षम बनाएगा और बांग्लादेश से पूर्वोत्तर क्षेत्र के माध्यम से लैंड लॉक हिमालयी राज्य को तेज गति से चलने वाली इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा.

भूटान में मौजूद दोनों कनेक्शनों फूंट्सहोलिंग और गेल्फू- सिलीगुड़ी के पास स्थित चिकनस नेक से होकर गुजरते हैं. उत्तर-पूर्व को मुख्य भूमि से जोड़ने वाले इस 20 किमी का लैंड स्लीवर में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत कमजोर हो जाती है.

मई 2020 में भूटान में आए साइक्लोन अम्फान के कारण इंटरनेट क्रैश हो गया और उसने इंटरनेट केबल को नष्ट कर दिया गया.

बांग्लादेश के समुद्री तट के कॉक्स बाजार से भारतीय सीमा में प्रवेश होने के लिए सिलहट-तमाबिल-शिलांग-गुवाहाटी-समद्रुपंजोनखार और अखौरा-अगरतला-गुवाहाटी-समद्रुपंजोनखार में से दो रास्तों पर विचार गया था. भूटान में प्रवेश के लिए समद्रुपंजकोखर बिंदु होगा, जबकि बांग्लादेश में सिलहट और अखौरा मुख्य बिंदु होंगे.

संपर्क स्थापित होने के बाद उत्तर पूर्वी और भूटान में इंटरनेट की गति को बढ़ाया जाएगा. उत्तर पूर्व में जहां बड़े पैमाने पर लोग अंग्रेजी बोलते हैं, इसके अलावा तेज इंटरनेट यहां आईटी-सक्षम उद्योगों और कॉल सेवाओं आदि जैसी सेवाओं की भी अनुमति देगा.

साझा भविष्य की विशाल क्षमता को रेखांकित करते हुए उत्तर पूर्व और भूटान में पिछले एक दशक से अनुसंधान, विकास और क्षेत्रीय सलाहकारों में शामिल डॉ. नील कोंवर ने कहा कि भूटान और भारत दोनों असम और पश्चिम के मैदानी इलाकों में सीमांए साझा करते हैं, जबकि भूटान और बंगाल में पिछले 400 वर्षों से मित्रता का इतिहास रहा है.

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उन्होंने कहा कि पीएम मोदी और डॉ. लोटे टीशेरिंग के नेतृत्व में दोनों देशों ने विकास और सहयोग के सभी क्षेत्रों में 50 साल के राजनयिक संबंधों का जश्न मनाया है. दोनों देश एक साझा लक्ष्य पाने के लिए एक दूसरे के साथ खड़े रहे.

1850 के दशक में टेलीग्राफ के लिए यातायात शुरू हुआ और फिर टेलीफोनी और डेटा संचार यातायात में प्रगति हुई और आजकल फाइबर-ऑप्टिक केबल डिजिटल डेटा ले जाते हैं, जिसमें टेलीफोन, इंटरनेट और निजी डेटा ट्रैफिक शामिल हैं.

एशिया-पैसिफिक इकोनॉमिक कोऑपरेशन फोरम के अनुसार सभी अंतरमहाद्वीपीय डेटा का 97 प्रतिशत हिस्से का आदान प्रदान इन्हीं केबलों के माध्यम से होता है.

केबल संपर्क, सैटेलाइट लिंक की तुलना में कहीं अधिक पसंद किया जाता है, क्योंकि स्पेस कम्यूनिकेशन में समय लगता है और यह नवीनतम फाइबर-ऑप्टिक लिंक की तुलना में बहुत महंगा है, जो लगभग प्रकाश की गति से डेटा संचारित कर सकता है.

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