नई दिल्ली : वर्षों की प्रतीक्षा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भूटानी समकक्ष डॉ. लोटे टीशेरिंग के साथ शुक्रवार को भूटान और उत्तर-पूर्व (एनई) भारतीय राज्यों को बहुत जल्द बांग्लादेश से इंटरनेट लिंक प्राप्त करने की घोषणा की गई.
पीएम मोदी ने शुक्रवार को एक वर्चुअल मीटिंग के दौरान कहा था कि वह बीएसएनएल के साथ भूटान में तीसरा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे प्रदान करने के समझौते का दिल से स्वागत करते हैं.
राज्य के स्वामित्व वाली टेलीकॉम प्रमुख बीएसएनएल ने बांग्लादेश के कॉक्स बाजार में लैंडिंग स्टेशन के साथ कनेक्टिविटी पहले ही स्थापित कर दी है, लेकिन उच्च लागत वाले मुद्दों के कारण इसे अधिकांश उत्तर-पूर्वी राज्यों तक नहीं बढ़ाया गया है.
मुंबई और चेन्नई के बाद फाइबर-ऑप्टिक केबल इंटरनेट लिंक भारत के लिए तीसरा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे होगा.
उत्तर-पूर्वी भारत क्षेत्र चेन्नई में उत्पन्न होने वाले केबलों के माध्यम से स्थलीय इंटरनेट नेटवर्क से जुड़ा हुआ है. उसी नेटवर्क का इस्तेमाल भूटान से जुड़ने के लिए किया जा रहा है.
भूटान के थिंपू में आईटी पार्क के सीईओ डॉ. टीशेरिंग सिगे ने ईटीवी भारत को बताया कि 2011 में बांग्लादेश, भारत और भूटान की सरकारों के बीच बातचीत शुरू हुई थी, उस समय भूटान का पहला कनेक्टिविटी आईटी पार्क प्रोजेक्ट इंटरनेट की विश्वसनीयता और सामर्थ्य में सुधार लाने के लिए पूरा होने वाला था. तब से इस मुद्दे को स्थानीय मीडिया द्वारा कवर किया जा रहा और यह सार्वजनिक जागरूकता और अपेक्षा बना हुआ है. लोगों ने अब सवाल उठाना शुरू कर दिया है कि इसको पूरा करने के लिए इतना समय क्यों लग रहा है.
यह प्रोजेक्ट फूंट्सहोलिंग (भूटान में एक दक्षिण-पश्चिम सीमावर्ती शहर) और गेल्फू (एक दक्षिण-मध्य सीमा शहर) के बाद भूटान को तीसरा अंतरराष्ट्रीय इंटरनेट गेटवे स्थापित करने में सक्षम बनाएगा और बांग्लादेश से पूर्वोत्तर क्षेत्र के माध्यम से लैंड लॉक हिमालयी राज्य को तेज गति से चलने वाली इंटरनेट कनेक्टिविटी सुनिश्चित करेगा.
भूटान में मौजूद दोनों कनेक्शनों फूंट्सहोलिंग और गेल्फू- सिलीगुड़ी के पास स्थित चिकनस नेक से होकर गुजरते हैं. उत्तर-पूर्व को मुख्य भूमि से जोड़ने वाले इस 20 किमी का लैंड स्लीवर में इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत कमजोर हो जाती है.