नई दिल्लीः नोबेल पुरस्कार विजेता फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी सर्जे हरोशे का चंद्रयान 2 को लेकर बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि समस्याएं, हादसे और अप्रत्याशित घटनाएं अनुसंधान को धार देने का काम करती हैं.
उन्होंने आगे कहा कि भारत को चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में ऐतिहासिक सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश के दौरान आई खामी के बाद आगे की ओर देखना चाहिए.
साल 2012 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीतने वाले 75 वर्षीय हरोशे 'नोबेल प्राइज सीरीज इंडिया 2019' के लिए भारत में हैं और यह देश में इस तरह की तीसरी श्रृंखला है.
चंद्रयान-2 मिशन- बड़ी वैज्ञानिक परियोजना
फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन एक बड़ी वैज्ञानिक परियोजना है और इस तरह की परियोजनाओं में आम तौर पर सरकार का काफी योगदान होता है.
प्रतिष्ठा से जुड़ी परियोजना
उन्होंने कहा, यह एक तरह से प्रतिष्ठा से जुड़ी परियोजना है जिसमें आम तौर पर काफी धन खर्च होता है और जब आपको असफलता मिलती है या कोई दुर्घटना होती है तो मीडिया का ध्यान केंद्रित होने के कारण काफी निराशा होती है.
जब हरोशे से भारत के दूसरे चंद्र मिशन को लेकर सवाल किए गए तो उन्होंने कहा कि, जब मैंने अपनी रिसर्च की तो मुझे इसके परिणाम मिलने तक किसी की भी इसमें रुचि नहीं थी...और मुझे लगता है कि इस तरह की समस्याएं, इस तरह के हादसे तथा इस तरह की अप्रत्याशित घटनाएं अनुसंधान को धार देने का ही काम करती हैं.
लैंडर का टूटा था संपर्क
उल्लेखनीय है कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का गत सात सितंबर को चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास के अंतिम क्षणों में इसरो के जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था.