हैदराबाद: पूरी दुनिया पिछले दस महीने से कोरोना वायरस से जूझ रही है. दुनियाभर में कोरोना से मरने वालों की संख्या दस लाख पहुंच गई है. जिस देश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर है, उन्हें इस महामारी की वजह से दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं. भारत जैसे देश में स्वास्थ्य सेवाएं इतनी बेहतर नहीं है. इस महामारी ने मौजूदा प्रणालियों में कमजोरियों को उजागर किया है.
जैसे-जैसे इस महामारी का संकट गहराता जा रहा है, विकासशील देश नॉन-कोविड (अन्य रोग) स्वास्थ्य सेवाओं पर चिकित्सा ध्यान सुनिश्चित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.
नवीनतम लैंसेट सर्वेक्षण ने 15 बीमारियों की पहचान की है, जो कोरोना से अधिक घातक हैं. उनमें से प्रत्येक की सालाना मृत्यु 10,00,000 है. यह अध्ययन हमारी वास्तविक स्वास्थ्य संबंधी रणनीतियों में सुधार की आवश्यकता पर जोर देता है. हृदय रोगों (1.78 करोड़), कैंसर (96 लाख), वृक्क रोगों (renal diseases ) (12 लाख), तपेदिक ( tuberculosis ) (11 लाख) लोंगो की मौत हो गई है. इन रोगों से हर साल 4.43 करोड़ लोगों की मौत हो रही है.
ज्यादातर जगहों पर इन बीमारियों के लिए चिकित्सीय चिकित्सा सुविधाएं घटिया हैं. कोरोना प्रकोप के पहले तीन महीनों के दौरान, दुनियाभर में 2.84 करोड़ सर्जरी (भारत में 5.8 लाख सहित) अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गईं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण इस साल 16.6 लाख लोग तपेदिक के शिकार हो सकते हैं. क्या स्थिति सब के बाद बदल जाएगी?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की जनगणना के अनुसार, देशभर में लाखों बच्चों को अकेले मार्च 2020 में निर्धारित समय पर टीका नहीं लग सका. कोरोना के अतिरिक्त अन्य बीमारियों के इलाज के लिए कोई डॉक्टर नहीं हैं.