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संसद के मानसून सत्र में नहीं होगा प्रश्नकाल, थरूर ने जताई आपत्ति

राज्यसभा सचिवालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, कोविड -19 महामारी के मद्देनजर, संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रश्नकाल और निजी सदस्यों से जुड़ी गतिविधियां नहीं होंगी. जानें पूरा मामला

संसद का मानसून सत्र
संसद का मानसून सत्र

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Published : Sep 2, 2020, 12:58 PM IST

नई दिल्ली : कोरोना महामारी के कारण दुनियाभर में अलग-अलग स्तरों पर असर पड़ा है. ताजा घटनाक्रम में राज्यसभा सचिवालय ने कहा है कि संसद में प्रश्नकाल नहीं होगा. राज्यसभा सचिवालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'राष्ट्रपति ने 14 सितंबर, 2020 को राज्यसभा सत्र बुलाया है. यह सत्र 1 अक्टूबर, 2020 को समाप्त होगा.'

बयान में कहा गया है कि शून्य काल और अन्य कार्यवाही अनुसूची के अनुसार आयोजित होंगी. गौरतलब है कि संसद का मानसून सत्र 14 सितंबर से शुरू होकर 1 अक्टूबर को समाप्त होने वाला है.

प्रश्नकाल न होने पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने आपत्ति जताई है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि सांसदों की सुरक्षा को लेकर प्रश्नकाल स्थगित करने का फैसला समझ से परे है.

प्रश्नकाल स्थगन पर थरूर का ट्वीट

इससे पहले बीते 28 अगस्त को लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया कि संसद के आगामी मानसून सत्र में सदस्यों के प्रश्न पूछने और मुद्दे उठाने के अधिकार में कटौती नहीं की जाए.

बिरला को लिखे पत्र में चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल और शून्य काल में कटौती करना जन प्रतिनिधियों के हित में नहीं होगा.

उन्होंने कहा, 'ऐसा लगता है कि इस सत्र के दौरान समय के आवंटन और सदस्यों की ओर से दिए जाने वाले नोटिस की संख्या को सीमित करके प्रश्नकाल और शून्यकाल में कटौती का प्रस्ताव है.'

कांग्रेस नेता ने कहा, 'मैं आपसे आग्रह करता हूं कि प्रश्नकाल और शून्यकाल में कोई कटौती नहीं हो. सदस्यों को प्रश्न पूछने और मुद्दे उठाने का मौका दिया जाए, जैसे सामान्य तौर पर होता है.'

गौरतलब है कि लोकसभा में प्रश्नकाल सुबह 11 बजे से 12 बजे के बीच होता है जिसमें सदस्य मंत्रियों से संबंधित विभागों से जुड़े प्रश्न पूछते हैं. इसके बाद शून्यकाल होता है जिसमें सदस्य अपने क्षेत्र अथवा जनहित के दूसरे मुद्दे उठाते हैं.

कोरोना महामारी प्रसार को रोकने के लिए सत्र में भाग लेने वाले सांसदों को आवश्यक कोरोना वायरस प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. प्रोटोकॉल में 72 घंटों के भीतर COVID-19 का परीक्षण करना शामिल है.

सरकार के शीर्ष सूत्रों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि संसद का मानसून सत्र दैनिक आधार पर आयोजित किया जाना है, यहां तक कि सप्ताहांत पर भी कोई अवकाश नहीं है.

दोनों सदनों की कार्यवाही दैनिक आधार पर आयोजित की जाएगी.

पहले दिन (14 सितंबर) को, लोकसभा सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक जबकि राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 3 बजे से 7 बजे तक आयोजित की जाएगी.

सूत्रों के मुताबिक, पिछले पांच महीनों में लगभग 11 अध्यादेश पारित किए गए हैं और इसे मंजूरी की जरूरत है. इस सूची में किसानों के लिए 'वन नेशन वन मार्केट' अध्यादेश भी शामिल है, इस पर कांग्रेस ने कुछ आपत्तियां दर्ज कराई हैं.

सदन के एजेंडे में को लेकर सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा के उपाध्यक्ष का चुनाव भी पहले दिन होने की उम्मीद है. सूत्रों ने कहा कि जनता दल (यू) के सांसद हरिवंश को 14 सितंबर को राज्यसभा के उपसभापति पद के लिए फिर से चुने जाने की संभावना है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करने से पहले मार्च में संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया था.

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