प्रयागराज :अवैध धर्मांतरण मामले की सुनवाई कर रही इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार ने संक्षिप्त हलफनामा दाखिल कर कहा, नदीम के खिलाफ मुजफ्फरनगर में दर्ज प्राथमिकी की विवेचना में धर्मांतरण कराने के साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसलिये पुलिस ने याची के खिलाफ भारतीय दंड संहित की धारा 504, 506 और 120 बी और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 3/5 के अंतर्गत आरोपपत्र कोर्ट में दाखिल किया है.
राज्य सरकार की प्रतिक्रिया
राज्य सरकार ने कहा है कि याची का मामला धर्मांतरण से जुड़ा नहीं है इसलिए इसे जनहित याचिका की सुनवाई से अलग किया जाए. सरकार की तरफ से यह भी कहा गया कि नदीम के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है इसलिए याचिका पोषणीय नहीं है, इसे खारिज की जाए. हालांकि, कोर्ट ने राज्य सरकार के इस हलफनामे पर विचार नहीं किया और सरकार को याचिका पर जवाब दाखिल करने का समय दिया है. साथ ही याचिका को सुनवाई के लिए 15 जनवरी को पेश करने का निर्देश दिया है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर और न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने हरिद्वार, उत्तराखंड के निवासी नदीम की याचिका पर दिया है.
पुलिस ने दाखिल की चार्जशीट
याची के खिलाफ मुजफ्फरनगर में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि याची शिकायतकर्ता की पत्नी के साथ अवैध संबंध बना रखे हैं और धर्मांतरण का दबाव बना रहा है. किन्तु पुलिस विवेचना में धर्मांतरण के आरोप के साक्ष्य नहीं मिले हैं. पुलिस ने भड़काने के आरोप में चार्जशीट दाखिल की है.