नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ रही है. पिछले एक साल से अधिक समय से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी हुई हैं. कई वरिष्ठ नेता पार्टी में संगठन स्तर के चुनाव की वकालत कर रहे हैं. कांग्रेस में आंतरिक असंतोष तब और ऊभरा जब सोनिया गांधी को नेतृत्व के मुद्दे पर पत्र भी लिखे गए. हालांकि, डैमेज कंट्रोल की कवायद के तहत कई वरिष्ठ नेता पार्टी में किसी भी तरह के असंतोष को खारिज करते रहे हैं. कांग्रेस किन समस्याओं का सामना कर रही है. यह समझने के लिए ईटीवी भारत ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से बात की. आइए जानते हैं कि इस दौरान हरीश रावत ने क्या कुछ कहा...
सवाल : 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिखे गए असहमति जताते हुए पत्र ने कांग्रेस में नेतृत्व के मुद्दे को सामने ला दिया है. क्या वरिष्ठ बनाम युवा नेताओं की बहस कांग्रेस की बढ़त को प्रभावित कर रही है?
जवाब : देखें, ऐतिहासिक रूप से कांग्रेस पार्टी ने युवा नेताओं का समर्थन किया है और उन्हें प्रोत्साहित किया है. इंदिरा गांधी के समय में, कई युवा पार्टी में शामिल हुए. संजय गांधी ने कमलनाथ जैसे कई युवाओं को पार्टी की सदस्यता दिलाई. बाद में, जब राजीव गांधी ने सत्ता संभाली, तो उनके समेत, गुलाम नबी आजाद, अहमद पटेल, आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक सहित कई युवा पार्टी में आए. वास्तव में जो लोग संजय गांधी और राजीव गांधी के समय में कांग्रेस में शामिल हुए थे. वह आज पार्टी का संचालन कर रहें हैं. हमारे बाद अविनाश पांडे जैसे युवा आए और बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. इसी तरह राजीव सातव और गौरव गोगोई जैसे कई युवा राहुल गांधी के सक्रिय राजनीति में शामिल होने के बाद आए और तब से उन्होंने ऊंचा मुकाम हासिल किया है. कांग्रेस का युवा पीढ़ी के प्रति स्वाभाविक झुकाव रहा है. पार्टी में वरिष्ठ बनाम युवा नेताओं को लेकर कोई बहस नहीं है. हम सभी युवा पीढ़ी को समायोजित करने और उन्हें समर्थन देने के लिए तैयार हैं. हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह एक या दो उदाहरण हैं. उन्हें पार्टी द्वारा कुछ ही समय में इतना कुछ दिया गया. मैं एक निजी किस्सा सुनाता हूं. 1980 में मैं ज्योतिरादित्य के पिता (दिवंगत माधवराव सिंधिया) के साथ संसद सदस्य था और दशकों बाद मनमोहन सिंह सरकार में राज्य मंत्री के रूप में काम किया, जिसमें ज्योतिरादित्य भी सदस्य थे. मुद्दा यह है कि हमने सब्र से काम लिया. अगर ज्योतिरादित्य पार्टी में ही रहते, तो वे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बना दिए जाते, लेकिन वह अधीर हो गए और पार्टी को छोड़ दिए.
सवाल : यदि ऐसा है, तो असंतुष्टों द्वारा चिह्नित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए 24 अगस्त को कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक के दौरान अनुभवी गुलाम नबी आजाद को क्यों निशाना बनाया गया था?
जवाब : देखिए पत्र लिखना किसी के लिए भी चिंता का विषय नहीं था. उसको लिखने का समय और जिस तरह से इसे उसपर जोर दिया गया था और मीडिया में लीक किया गया, उसने सीडब्ल्यूसी सदस्यों को नाराज कर दिया और उन्हें निराश किया था. वह सोच रहे थे कि ऐसा क्यों हुआ? आजाद एक अनुभवी और मंझे हुए राजनेता हैं. वास्तव में, आजाद, अहमद पटेल और अंबिका सोनी सहित तीन नेताओं का पार्टी में विशेष स्थान है. हमने हमेशा उनका सम्मान किया है. बैठक के दौरान यदि वह खड़े हो जाते हैं, तो हम भी कुर्सी पर नहीं बैठते हैं. आजाद को पार्टी के लिए संकटमोचक माना जाता था. अगर हम कुछ भी गलत कर देते थे, तो आजाद इसे सही करते थे. वहीं अहमद पटेल के लिए माना जाता रहा है, जब असहमति का पत्र सामने आया और आजाद का नाम इस प्रकरण के प्रमुख नामों में से एक के रूप में आया, तो हमें आश्चर्य हुआ, क्यों?
आजाद सिर्फ सोनिया गांधी से मिल सकते थे या उन्हें फोन कर सकते थे. उनकी बात जरूर सुनी जाती. इसके बजाय, पार्टी के बारे में हर तरह की नकारात्मक खबरें घूम रही थीं और इसने हमें पीड़ा दी. यह भावना सीडब्ल्यूसी की बैठक में परिलक्षित हुई. ऐसा नहीं था कि आजाद ने किसी प्रकार के तख्तापलट का प्रयास किया था, लेकिन सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने पत्र के लीक होने के तरीके पर अपनी चिंता व्यक्त की. यह वास्तव में इसने चर्चा को लंबा खींच दिया, लेकिन अंत में सोनिया गांधी ने हम सभी को आश्वासन दिया कि हमारी भावनाओं को संबोधित किया जाएगा.
सवाल : क्या राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने को लेकर पार्टी में संशय है ?
जवाब : सीडब्ल्यूसी ने चर्चा की कि अगर राहुल पदभार लेने से हिचक रहे हैं तो इन सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सत्र बुलाया जाए. हम चाहते हैं कि राहुल जल्द से जल्द पदभार संभालें. सीडब्ल्यूसी में भी यह सर्वसम्मत था. यहां तक कि अगस्त 2019 में आयोजित विस्तारित सीडब्ल्यूसी ने राहुल से अपना इस्तीफा वापस लेने का आग्रह किया था. कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनके नेतृत्व पर पूरा भरोसा है. राहुल ने उस समय पदभार संभाला, जब बहुत सारी चुनौतियां थीं. हम सभी महसूस करते हैं आज देश में संसदीय प्रणाली और संवैधानिक लोकतंत्र को चुनौती दी जा रही है. राहुल पीएम मोदी और उनकी सरकार की कार्यशैली पर करारा जवाब दे रहे हैं. वह कांग्रेस के मजबूत नेता के रूप में उभरे हैं और उन्होंने विपक्ष के नेता के स्थान को हासिल किया है. इन परिस्थितियों में मुझे लगता है कि कांग्रेस को एक युवा नेता की आवश्यकता है और भारत को एक युवा विपक्षी नेता की आवश्यकता है. उन्होंने पूरे देश की यात्रा की और लोगों से मुलाकात की है. उन्होंने अनुभव प्राप्त किया है. समय अब बदल रहा है. लोगों ने रोजी-रोटी से संबंधित मुद्दों को उठाना शुरू कर दिया है. यह समय है जब राहुल को कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालना चाहिए.
सवाल : इस तथ्य के बारे में क्या कहेंगे कि दो दशकों से सीडब्ल्यूसी के चुनाव नहीं हुए हैं?