नई दिल्ली :बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन पर वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की टिप्पणी पर पार्टी के महासचिव तारिक अनवर ने आपत्ति जताई है. तारिक अनवर ने कहा कि मीडिया के समक्ष आंतरिक मामलों को लाने की कोई आवश्यकता नहीं है. सिब्बल के पार्टी नेतृत्व के खिलाफ असंतोष व्यक्त करने और बिहार चुनावों में हार के बाद सुधारों का आह्वान करने के बाद कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है. पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने भी सिब्बल के विचारों का समर्थन करते हुए कहा कि पार्टी को जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत करने की जरूरत है. बिहार चुनावों में कांग्रेस संगठनात्मक ताकत से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ी थी.
सिब्बल और चिदंबरम को तारिक अनवर का सुझाव-मीडिया में न करें बात
बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन पर वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल की टिप्पणी पर कांग्रेस में बवाल मचा हुआ है. कांग्रेस महासचिव तारिक अनवर ने सभी नेताओं को मीडिया से आंतरिक मामलों पर बात नहीं करने का सुझाव दिया है.
कांग्रेस नेतृत्व पर सिब्बल की टिप्पणी ने पार्टी को तेजी से गांधी पक्ष और विरोधी के बीच बांट दिया है. गांधी के वफादारों ने कपिल सिब्बल को खुलेआम सुनाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने सिब्बल पर तीखा हमला करते हुए कहा कि अगर कुछ कांग्रेसी नेताओं को लगता है कि कांग्रेस सही पार्टी नहीं है, तो उन्हें एक नई पार्टी गठित करनी चाहिए या किसी अन्य पार्टी में शामिल हो सकते हैं.
तारिक अनवर ने अधीर रंजन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि मैं अपने सभी वरिष्ठ नेताओं से यह कहना चाहता हूं कि यदि वे कुछ कहना चाहते हैं, तो उन्हें सीधे पार्टी नेतृत्व और संबंधित लोगों से बात करनी चाहिए. यह हमारी पार्टी के लिए बेहतर होगा. इसके अलावा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी कांग्रेस के नेतृत्व की सार्वजनिक रूप से आलोचना करने के लिए कपिल सिब्बल को कहा था कि इससे देश भर में पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है.
बीजेपी के एक हमले के बाद कांग्रेस पार्टी ने खुद को गुपकार से बाहर घोषित कर दिया, जबकि दूसरी तरफ जम्मू और कश्मीर में कांग्रेस के राज्य नेतृत्व ने कहा कि जिला विकास परिषद (डीडीसी) के चुनावों के लिए एनसी और पीडीपी सहित अन्य दलों के साथ सीट साझा करने की व्यवस्था है. इस मामले पर बात करते हुए, तारिक अनवर ने कहा कि हम एक लोकतंत्र में हैं, इसलिए, हमें चुनाव लड़ना होगा. अब जब केंद्र सरकार जम्मू और कश्मीर में चुनाव का आयोजन कर रही है, तो सभी राजनीतिक दल निश्चित रूप से अपने तरीके से भाग लेंगे.