नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का विरोध सिर्फ देश में ही नहीं हो रहा वरन संयुक्त राष्ट्र व इस्लामिक सहयोग संगठन जैसे कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने भी इसके खिलाफ अपनी आवाज उठाई है.
पूर्व राजदूत अनिल त्रिगुणायत ने इस बाबत ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (OIC) को विश्वास दिलाने की जरूरत नहीं है.
ईटीवी भारत से जानकारी साझा करते अनिल त्रिगुणायत. लीबिया और जॉर्डन में राजदूत रह चुके त्रिगुणायत ने कहा, 'भारत के खिलाफ कई लॉबी हैं. हमें ओआईसी को किसी भी तरह की विश्वसनीयता देने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह अनिवार्य रूप से पाकिस्तान द्वारा संचालित है.'
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इस्लामिक सहयोग संगठन ने रविवार को कहा था कि वह भारत में मुसलमानों को प्रभावित करने वाले हालिया घटनाक्रमों को करीब से देख रहा है. उसने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर चिंता व्यक्त की है.
57 सदस्यीय समूह ने, जिसका पाकिस्तान भी अहम हिस्सा रहा है, अतीत में कई मुद्दों को लेकर भारत की आलोचना की है. उसने कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर फिर से अंगुली उठाई है.
हालांकि इस साल की शुरुआत में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के OIC में भाषण देने से यह बात साफ हो जाती है कि चीजें काफी बदल चुकी हैं.
त्रिगुणायत ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जिसकी निर्वाचित सरकार ने यह अधिनियम पारित किया है.
उन्होंने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा कि यह अधिनियम काफी हद तक इन देशों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है.