हैदराबाद : खूंखार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल कायदा के प्रमुख नेता अनवर-अल-अवलाकी ने हिंसक जिहाद की परिभाषा बताई थी. यह उसके घिनौने दिमाग से उपजे ऐसे शब्द थे, जिससे एक इंजीनियर इब्राहिम जुबैर मोहम्मद काफी प्रभावित हुआ. उसे यकीन हो गया कि हिंसक जिहाद के लिए वित्तीय धोखाधड़ी जायज है. यह आतंकी संगठन 9/11 हमले के लिए भी जिम्मेदार था. 2011 में, अनवर अल अवलाकी यमन में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया.
अमेरिका ने अल कायदा के बड़े आतंकवादी मोहम्मद इब्राहिम जुबैर को भारत को सौंप दिया है. हैदराबाद का रहने वाला जुबैर अल कायदा की फाइनेंसिंग का काम देखता था.
अमेरिका द्वारा अलकायदा का आतंकवादी करार दिए जाने के बाद तेलंगाना के एक व्यक्ति को दोनों देशों के बीच विमान यात्रा आंशिक रूप से बहाल होने के बाद वहां से भारत भेज दिया गया.
अधिकारियों ने बताया कि भारत में जन्मा अमेरिकी नागरिक इब्राहिम जुबैर मोहम्मद 19 मई को अमृतसर पहुंचा. वहां उससे उसके विरुद्ध अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में पूछताछ की गई.
अधिकारियों ने बताया कि पूछताछ के बाद उसे अमृतसर में पृथक-वास केंद्र में 14 भेज दिया. वैसे अलकायदा के साथ उसका संबंध स्थापित करने के लिए अब तक कोई सबूत नहीं मिला है।
मोहम्मद 2001 में अमेरिका गया था और 2006 में उसने शादी की तथा उसके बाद वह अमेरिका का स्थायी नागरिक बन गया.
अमेरिका के न्याय विभाग के अनुसार उसने और उसके दो साथियों ने आतंकवाद खासकर अरब प्रायद्वीप में अलकायदा के नेता अनवर अल अवलाकी के वित्तपोषण की बात छिपाने को लेकर अपना गुनाह कबूल लिया. अनवर अल अवलाकी ने अमेरिका के खिलाफ हिंसा की वकालत की और वह नागरिकों के खिलाफ आतंकवादी हमलों के प्रयासों में शामिल रहा.
जुबैर मोहम्मद को आतंक और वित्तीय धोखाधड़ी के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद पांच साल की सजा सुनाई गई थी. ऐसी उम्मीद है कि जब 14 दिनों का पृथक वास पूरा कर वह बाहर आएगा तो भारतीय सुरक्षा अधिकारी उससे सब कुछ उगलवा लेंगे.
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अरब प्रायद्वीप में अलकायदा के नेता अनवर अल अवलाकी ने 5 जनवरी 2009 को लिखे अपनी लेख में जिहाद को समर्थन करने के 44 तरीकों का जिक्र किया था. उसके इस लेख से इब्राहिम जुबैर काफी प्रभावित हो गया था. अवलाकी ने अपने लेख में कई आपत्तिजनक बातें लिखी थीं. उसने हिंसा जिहाद से जुड़े कार्यों के लिए वित्तीय धोखाधड़ी और बैंकों के साथ धोखेबाजी को जायज ठहराया था.
अवलाकी ने धन के लिए जिहाद के महत्व को प्रमुखता से लिखा था. उसने लिखा, 'धन नहीं तो जिहाद नहीं. जिहाद के लिए पैसों की जरूरत है. शायद सबसे महत्वपूर्ण योगदान पश्चिम के मुसलमान जिहाद के लिए कर सकते हैं. जिहाद अपने धन के साथ क्योंकि कई मामलों में मुजाहिदीन को उन लोगों की तुलना में अधिक धन की आवश्यकता होती है.'
कैसे पहुंचा अलकायदा तक
1997-2001 से हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद मोहम्मद इब्राहिम जुबैर ने भारत छोड़ दिया. 2001-2005 में उरबाना-शैम्पेन, इलिनोइस विश्वविद्यालय से इब्राहिम ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. 2006 में टोलेडो, ओहियो में आकर बस गया. इस दौरान आतंकी संगठन अल कायदा की कट्टरपंथी सोच और व्याख्यान देखने-सुनने के बाद उसके मन भी एक इस्लामिक कट्टरपंथी बनने की इच्छा पनपने लगी. उसने इंजीनियरिंग की डिग्री ली.
29 जनवरी, 2008 को, मोहम्मद ने अपने बड़े भाई फारूक मोहम्मद को ईमेल पर एक लिंक भेजा.
लिंक, जिहाद के इंजीनियरों के शीर्षक वाले एक दस्तावेज का था, जिसमें कहा गया था कि विज्ञान, इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों से स्नातक मुस्लिम का इस्लामिक आंदोलन में स्वागत हैं.
शायद यही बात थी कि मोहम्मद की यह इंजीनियरिंग की डिग्री अवलाकी को लुभाती थी, जिसे इंटरनेट का ओसामा बिन लादेन भी कहा जाता है. अवलाकी न्यू मेक्सिको में पैदा हुआ था. उसके माता-पिता यमन के थे.
अवलाकी भी एक सिविल इंजीनियर था. उसने 1994 में कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री हासिल की थी. 2011 में, अनवर अल अवलाकी यमन में एक अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया था.
2008 और 2009 के बीच, मोहम्मद और उसका बड़ा भाई और दो अन्य लोगों ने मिलकर क्रेडिट कार्ड से जमकर पैसे निकाले.
इन लोगों का वित्तीय संस्थानों से प्राप्त राशि चुकाने का कोई इरादा नहीं था. धोखाधड़ी से प्राप्त धन का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जाता था. यह धन अवलाकी शीर्ष अलकायदा आतंकवादियों से मिलने के लिए खर्च करता था.
इन चारों पर इराक और अफगानिस्तान में अमेरिका और उसकी सेना के खिलाफ 'हिंसक जिहाद' में शामिल होने का आरोप भी लगा.