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दो साल से जमीन के इंतजार में जर्मन कंपनी, सीतारमण की सिफारिश भी बेअसर ! - जर्मनी की एक सहायक कंपनी एडीडी इंजीनियरिंग

जर्मनी की एक सहायक कंपनी एडीडी इंजीनियरिंग दो साल से बेंगलुरु औद्योगिक क्षेत्र में 3000 वर्ग फुट की जमीन का इंतजार कर रही है. तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की सिफारिश के बाद भी कर्नाटक राज्य सरकार भूमि आवंटित नहीं कर रही है.

जमीन आवंटित किए जाने का इंतजार कर रही है जर्मन कंपनी
जमीन आवंटित किए जाने का इंतजार कर रही है जर्मन कंपनी

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Published : Aug 5, 2020, 7:17 PM IST

Updated : Aug 5, 2020, 8:44 PM IST

बेंगलुरु : जर्मनी की एक सहायक कंपनी एडीडी इंजीनियरिंग दो साल से बेंगलुरु औद्योगिक क्षेत्र में 3000 वर्ग फुट की जमीन का इंतजार कर रही है. अब तक फर्म को जमीन आवंटित नहीं की गई है.

एडीडी इंजीनियरिंग एलसीए और अन्य फाइटर जेट एयरक्राफ्ट कटिंग टूल्स के लिए HAL और अन्य सार्वजनिक उपक्रमों को पुर्जों की आपूर्ति करता है. कंपनी ने मेक इन इंडिया के तहत भारत में पुर्जों के निर्माण करने का निर्णय लिया था, लेकिन तत्कालीन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की सिफारिश के बाद भी कर्नाटक राज्य सरकार भूमि आवंटित नहीं कर रही है.

दो साल से जमीन के इंतजार में जर्मन कंपनी

कंपनी बेंगलुरु इंडस्ट्रियल पार्कों के आस-पास 3 से 4 हजार वर्गफीट जमीन चाहती है, जो कर्नाटक राज्य लघु उद्योग विकास निगम लि (केएसएसआईडीसी) के अंतर्गत आती है, लेकिन 6.5 लाख रुपये दने के बावजूद और 2 साल इंतजार करने के बाद एसएसआईडीसी का कहना है कि जमीन की मंजूरी में कानूनी समस्या है.

इस मुद्दे के बारे में एडीडी इंजीनियरिंग (इंडिया) के निदेशक गिरीश कहते हैं कि भूमि का अनुरोध वर्ष 2008 में 6.5 लाख का भुगतान करने के बाद किया गया था और अब तक केएसएसआईडीसी ने हमें स्पष्ट जानकारी नहीं दी है कि हमें जमीन मिलेगी या नहीं. तब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने रक्षा क्षेत्रों में ऐसे उद्योगों की आवश्यकताओं की सिफारिश की थी और डीपीसी के माध्यम से तत्काल आवंटन की सिफारिश भी की थी, लेकिन अभी तक जमीन को मंजूरी नहीं दी गई है.

जमीन आवंटन के लिए जर्मन कंपनी के भुगतान का प्रमाण

गिरीश सवाल करते हैं कि अगर नेलमंगला औद्योगिक भूमि पर कानूनी अड़चन है तो बेंगलुरु के आस-पास कोई दूसरी जमीन क्यों नहीं दी जाती है. आंध्र प्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों से हमें कम लागत पर इकाई शुरू करने के ऑफर आ रहे हैं. गिरीश ने कहा कि केवल कर्नाटक और कन्नड़ की भावना के कारण हम स्थानीय रोजगार देने के लिए जमीन का इंतजार कर रहे हैं. अगर जमीन नहीं दी जाती है तो हम दूसरे विकल्पों पर विचार करेंगे.

Last Updated : Aug 5, 2020, 8:44 PM IST

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