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लद्दाख में चीनी सेना की कोई घुसपैठ नहीं : सेना प्रमुख रावत - ladakh demchok

दरअसल इससे पहले खबर आयी थी कि दलाई लामा के जन्मदिवस पर कुछ तिब्बतियों द्वारा तिब्बती झंडे फहराए जाने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार करने का दावा किया गया था. इस पर सेना प्रमुख रावत ने कहा है कि कोई घुसपैठ नहीं हुई है.. जानें क्या है पूरा मामला...

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत

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Published : Jul 14, 2019, 9:24 AM IST

नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने शनिवार को कहा कि लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में चीन ने कोई घुसपैठ नहीं की है. रावत ने एक समारोह के इतर कहा कि चीन की तरफ से कोई घुसपैठ नहीं हुई है.

जनरल रावत का यह बयान उन खबरों के बीच आया है जिनमें छह जुलाई को दलाई लामा के जन्मदिवस के मौके पर कुछ तिब्बतियों द्वारा तिब्बती झंडे फहराए जाने के बाद चीनी जवानों के पिछले सप्ताह वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार करने का दावा किया गया है.

उन्होंने कहा कि दोनों देशों का वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर अपना-अपना दृष्टिकोण है.

सेना प्रमुख ने कहा, 'बीच में कुछ फासला है. इसलिए दोनों देश गश्त करते हैं और एक -दूसरे के इलाके में आते हैं. चीनी सैनिक जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा मानते हैं, उस पर वे गश्त करते हैं और जिसे हम रोकते हैं. हम वास्तविक नियंत्रण रेखा तक पहुंचने की कोशिश करते हैं या हमें गश्त के लिए दिए गए क्षेत्र के आधार पर, हम उन इलाकों तक जाते हैं.'

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साउथ ब्लॉक के सूत्रों ने शुक्रवार को कहा था कि करीब 11 चीनी नागरिक सादे कपड़ों में दो वाहनों में आए जब लद्दाखी ग्रामीण छह जुलाई को दलाई लामा का जन्मदिन मना रहे थे.

उन्होंने बताया कि चीनी नागरिकों ने उन्हें बैनर दिखाए और 30 से 40 मिनट तक इंतजार किया लेकिन वास्तविक नियंत्रण रेखा पार नहीं की.

गौरतलब है कि तिब्बती दलाई लामा का 84वां जन्मदिन मना रहे थे.

जनरल रावत ने कहा, 'कई बार स्थानीय स्तर पर जश्न समारोह होते हैं. डेमचोक सेक्टर में हमारी ओर हमारे तिब्बती जश्न मना रहे थे. इसके आधार पर, कुछ चीनी यह देखने आए कि क्या हो रहा है, लेकिन कोई घुसपैठ नहीं हुई.'

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छह जुलाई के वाकये के दौरान क्या चीन की जन मुक्ति सेना (पीएलए) के सैनिक मौजूद थे, यह पूछने पर उन्होंने कहा कि आम नागरिक जब भी वास्तविक नियंत्रण रेखा तक जाते हैं, दोनों तरफ के सुरक्षा अधिकारी उनके साथ जाते हैं.

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उन्होंने कहा, 'जब आम नागरिक वहां आते हैं, निश्चित तौर पर वहां पीएलए होगी और हमारे नागरिक वास्तविक नियंत्रण रेखा तक जाएंगे तो आईटीबीपी या सेना उनके साथ जाएगी. हम नागरिकों को बिना निगरानी के वास्तविक नियंत्रण रेखा तक नहीं जाने देंगे. इसलिए, दोनों तरफ से निगरानी होती है.'

सेना प्रमुख ने बताया कि यह मामला दोनों देश के सुरक्षा अधिकारियों के बीच हुई ध्वज बैठक के दौरान भी उठाया गया.

उन्होंने कहा, 'सब सामान्य है. आपको इस मिथक को दूर करना होगा कि चीन की तरफ से किसी तरह की घुसपैठ या कोई गतिविधि हुई जो हमारी सुरक्षा के लिए नुकसनादेह है.'

जनरल रावत ने कहा, 'चीनी सेना के साथ हमारे बहुत अच्छे कामकाजी संबंध हैं. कभी भी इस तरह की चीजें होती हैं, हमारे स्थानीय कमांडर एक-दूसरे से बात करते हैं. हम नियमित रूप से मुलाकात करते हैं.'

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भारत और चीन के बीच एक विवादित सीमा रेखा है और दोनों देश की सेनाओं के बीच डोकलाम में 2017 में 73 दिनों तक गतिरोध की स्थिति बनी रही थी.

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