नई दिल्ली : भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक बार फिर दोहराया है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह दावा किया जा सके कि कोरोना हवा में भी हो सकता है.
इस संबंध में आईसीएमआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. लोकेश शर्मा से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि अब तक ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह कहा जा सके कि कोरोना हवा के माध्यम से संचरित होता है. हां दावे हो सकते हैं, लेकिन सब कुछ क्लीनिकल स्टडी, शोध और अध्ययन पर निर्भर करता है.
आईसीएमआर ने 32 देशों के उन 239 वैज्ञानिकों की बात का महत्व रखते हुए यह बयान दिया है, जिन्होंने कोरोना के हवा में संचरित होने और वायरस के हवा के माध्यम से फैलने का दावा किया.
गौरतलब है कि अलग-अलग देशों के वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से कहा है कि कोरोना वायरस के वायुजनित होने के सबूत हैं और इसके छोटे कण भी किसी व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं.
डब्ल्यूएचओ और सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) द्वारा अब तक साझा की गई जानकारी के मुताबिक, कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से मुंह से निकली बूंदों के जरिए दूसरे लोगों में फैलता है.
बूंदों के जरिए भी इस संक्रमण के फैलने की आशंका तब और भी ज्यादा बढ़ जाती है, जब संक्रमित बूदें किसी वस्तु, फर्श और अन्य जगह पर मौजूद हों.
बता दें कि आईसीएमआर ने पहले भी कहा था कि कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति की खांसी, छींक या लार से उत्पन्न बूंदों के माध्यम से फैलता है.