नई दिल्ली/पटना: बिहार की राजनीति में कब करवट आ जाए, कहना मुश्किल है. एक बार फिर से 2015 जैसे हालात बनते दिख रहे हैं. तब बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और राजद ने हाथ मिला लिया था, और भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. जबकि 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने अच्छी-खासी बढ़त हासिल की थी. उस समय नीतीश कुमार भाजपा से अलग हो चुके थे.
क्या फिर से ऐसी कोई स्थिति बन रही है. मीडिया में राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद का एक बयान सामने आया है. इसके अनुसार भाजपा को हराना है, तो सभी दलों को एक साथ आना होगा. इनमें नीतीश कुमार की पार्टी भी शामिल है. यह बयान मीडिया में सुर्खियां बटोर रहा है.
रालोसपा नेता उपेन्द्र कुशवाहा ने साफ तौर पर कहा है कि भाजपा को धोखा नंबर दो के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश की ये पुरानी आदत है. वो जनता के मत का कभी भी आदर नहीं करते हैं. यूज करके फिर धोखा देना, ये उनकी पुरानी आदत है.
हालांकि, आपको बता दें कि जनता दल यू और भाजपा दोनों ने कहा है कि उनके बीच कोई मतभेद नहीं है.
वैसे, राजनीति में नकारने का सिद्धन्त अंत तक चलता रहता है. यह कोई नई बात नहीं है. दरअसल, इस स्थिति को हवा इसलिए मिली है, क्योंकि एक दिन पहले ही नीतीश कुमार ने बिहार में कैबिनेट का विस्तार किया. लेकिन इसमें भाजपा शामिल नहीं हुई.
सूत्रों का कहना है कि नीतिश ने कैबिनेट के लिए एक बर्थ भाजपा को दिया था. लेकिन पार्टी ने इसे ठुकरा दिया. यह ठीक उसी प्रकार का है, जिस तरह से भाजपा ने जदयू के केन्द्रीय कैबिनेट में शामिल होने के लिए एक मंत्री पद का ऑफर दिया था.