नई दिल्ली : अमेरिका की पूर्व राजनयिक निशा बिस्वाल का मानना है कि लंबे समय से चल रही भारत और अमेरिका के बीच मिनी व्यापार सौदे की चर्चा अमेरिका में प्रस्तावित इस वर्ष नवम्बर में प्रस्तावित राष्ट्रपति चुनाव से पहले संभव नहीं लगती. ओबामा प्रशासन में दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक सचिव रहीं बिस्वाल ने राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि एच 1 बी, एल 1 वीजा को निलंबित करना ठीक नहीं है और एफ 1 वीजा पर पढाई कर रहे अंतरराष्ट्रीय छात्रों को ऑनलाइन क्लासेज करने पर देश से चले जाने के लिए कहना भी गलत है.
संप्रति यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल (यूएसआईबीसी) की अध्यक्ष बिस्वाल ने एक विशेष साक्षात्कार में यह तर्क भी दिया कि बाहर के लोगों को नौकरी न देना और उन्हें देश में न आने देने से अमेरिकी समाज और अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. गूगल द्वारा भारत में दस अरब अमेरिकी डॉलर तक निवेश करने के निर्णय के बारे में पूछे जाने पर बिस्वाल ने बताया कि डिजिटल अर्थव्यवस्था ही कोविड के बाद का भविष्य है और भारत-अमेरिकी व्यापार अगले कई वर्षों में और बढ़ेगा, लेकिन इसके लिए भारत में स्थिर ढांचे और नीतियों की आवश्यकता है. प्रस्तुत है बिस्वाल से बातचीत के मुख्य अंश :-
पूर्व अमेरिकी राजयनिक निशा बिस्वाल से वरिष्ठ पत्रकार स्मिता शर्मा की खास बातचीत. प्रश्न : क्या आपको लगता है कि भारत-अमेरिका व्यापार सौदा जल्द हो जाएगा?
मिनी व्यापार सौदा कई चरणों में पूरा होगा. यूएसटीआर में राजदूत लाइटहिजेर व उनकी टीम और वाणिज्य मंत्रालय में पीयूष गोयल व उनकी टीम के बीच बातचीत जारी है. वे लोग इस मामले को अच्छी तरह देख रहे हैं. चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आएंगे, डील होने की संभावना कम होती जाएगी. यह संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत के हित में होगा कि वे जल्द से जल्द इस मिनी डील को फाइनल कर लें.
प्रश्न : यूएस-चीन व्यापार के अलग होने की आशंकाओं और एलएसी पर भारत-चीन तनाव के बीच भारत-अमेरिका व्यापार का क्या भविष्य है?
भारत और अमेरिका के बीच संयुक्त व्यापार एक बहुत ही लाभकारी और बहुत से क्षेत्रों में अवसर प्रदान करने वाला है. खासकर आवश्यक दवाओं, रक्षा, उच्च प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढांचे जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में आपूर्ति शृंखला और विनिर्माण पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए हमारी आर्थिक साझेदारी के विस्तार की जरूरत हैं. चीन हमेशा भारत और अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक भागीदार होगा और कोई भी इसे बदलने या कम करने की कोशिश नहीं कर रहा है. लेकिन कुछ क्षेत्रों में आपूर्ति शृंखलाओं और डी-रिस्किंग पर भारत में नीतिगत ढांचे की आवश्यकता होगी, जो कि स्थिर हो, आकर्षक हो और निवेश को प्रोत्साहन देने वाला रहे. वर्तमान समय में बहुत सी कंपनियां घाटे में चल रही हैं. यह समय नहीं है कि आप कोई बड़ा निवेश करें.
प्रश्न : गलवान संघर्ष के बाद भारत ने कुछ चीनी सामानों के आयात पर प्रतिबंध की घोषणा की, जिसके कारण बंदरगाहों पर अराजकता फैल गई. USISPF ने कहा कि यह अमेरिकी निर्माण कंपनियों को भी नुकसान पहुंचाएगा. इस पर आपके क्या विचार हैं?
यह बहुत ही जटिल समस्या है. हम जानते हैं कि इस वक्त भारत सरकार किन सुरक्षा मुद्दों से जूझ रही है. ऐसे में हम अमेरिका के सहयोग और समर्थन की सराहना करते हैं.
प्रश्न : गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद के लिए एक नए $10 बिलियन डॉलर की घोषणा की है. क्या आप और अधिक अमेरिकी फर्मों को इस क्षेत्र में आते हुए देख रही हैं?
बिल्कुल. आज के समय में डिजिटल ही भविष्य है, डिजिटल अर्थव्यवस्था तेजी से विकसित हो रही है और महामारी ने वास्तव में डिजिटलीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने के लिए मजबूर कर दिया है. आप सुंदर पिचाई, माइक्रोसॉफ्ट और भारतीय तकनीकी दिग्गजों से जो कुछ भी सुन रहे हैं, वह यह है कि भविष्य की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए डिजिटल आर्किटेक्चर के विस्तार की जरूरत है. चाहे वह 5 जी इंफ्रास्ट्रक्चर पर सहयोग की जरूरत हो या एक्सेस इश्यू को बढ़ावा देने का मसला हो, जैसा गूगल भी कह चुका है. भारत-अमेरिका व्यापार के लिए ये सब बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर हैं, जो उत्पादनकर्ता और आपूर्तिकर्ता की पहुंच को बढ़ा सकते हैं.
प्रश्न : क्या आपको लगता है कि H1B, L1 वीजा के सस्पेंशन को दिसंबर के बाद बढ़ाया जा सकता है और सिलिकॉन वैली पर इसका क्या असर पड़ेगा?
यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स के सीईओ टॉम डोनोई ने इस बारे में जोरदार तरीके से कहा है कि यह एक गलत नीति है और इसके दुष्परिणाम होंगे. वास्तव में इस नीति की वजह से अमेरिका, अमेरिकी कंपनियों को और अमेरिका में काम कर रहे श्रमिकों को नुकसान पहुंचाता है. हम दशकों से एक राष्ट्र के रूप में लाभान्वित हुए हैं, जो हमारे तटों पर आए लोगों की वजह से है. चाहे वे स्थायी प्रवासियों के रूप में बेहतर जीवन की तलाश में आ रहे हों या उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए विदेशी छात्रों के रूप में या अस्थायी कार्य वीजा पर आ रहे हों. इन सबसे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को फायदा हुआ है.
प्रश्न : डोनोई ने एफ1 वीजा को लेकर अधिसूचना पर, जो लगभग दो लाख भारतीय पक्षों को प्रभावित कर सकती है, प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि इसका अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर दुष्प्रभाव पड़ेगा. ट्रंप प्रशासन ने इस तरह का कदम क्यों उठाया?
मैं ये नहीं कह सकती कि किससे प्रेरित होकर एग्जीक्यूटिव ब्रांच ने यह पॉलिसी निकाली है. यह एक ऐसा समय है, जब हम एक महामारी से निबट रहे हैं और स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक प्रभाव भी पड़ रहे हैं. ऐसे समय में जब आपके पास नौकरियां चली जाती हैं तो यह प्रवृति है कि हम अपने लोगों की नौकरियों के बारे में सोचते है, जो कि गलत बात है. यह एक ऐसी प्रवृति है, जिसे समझा जा सकता है और बहुत से देश इससे प्रभावित हैं. हम सभी बेहतर करते हैं, जब हम दुनियाभर के देशों और हमारे सहयोगियों के साथ जुड़कर काम करते हैं. हमारे बाजार, स्रोत और प्रतिभाएं वैश्विक हैं और हम अपने आप में सीमित नहीं हो सकते.
प्रश्न : यूएसआईबीसी द्वारा आयोजित द आइडिया इंडिया समिट अगले हफ्ते होनी है. इसमें निर्मला सीतारमण, जयशंकर और पोम्पिओ सरीखे नेता कोविड-19 के बाद के विश्व में भारत-अमेरिकी सहयोग पर विचार-विमर्श करेंगे. इसमें कौन-कौन से बड़े विचार हैं?
इस वर्ष के शिखर सम्मेलन की थीम एक बेहतर भविष्य निर्माण की है. हम एक ऐसे समय में हैं, जिसमें बहुत सारे व्यवधान हैं, चाहे वे आर्थिक हों या भू राजनीतिक या हमारे जीवन और काम करने के तरीकों में हों. फिर भी विघटन के इस समय में हम एक नए युग को लाने के लिए भी तैयार हैं. यह हमारे हाथ में है कि नया युग कैसा होगा. अमेरिका और भारत अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए साझेदारी में कैसे काम करेंगे, इस शिखर सम्मेलन में इस पर विचार किया जाएगा. चाहे वह समुद्री रास्तों से व्यापार हो, सुरक्षा में साझेदारी हो या राजनीतिक संबंधों की बात हो, इन सभी मुद्दों पर ग्लोबल मंच पर नए उभरते नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया जाएगा.