नई दिल्ली : देश को आर्थिक मंदी से उबारने और 2024-25 तक अर्थव्यवस्था को 5,000 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचाने के प्रयास में लगीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में सरकार के साथ-साथ, निजी क्षेत्र, विदेशी निवेशकों और छोटे मझोले उद्यमों सहित सभी की भूमिका महत्वपूर्ण है और सबको मिलकर इसके लिए प्रयास करना होगा.
वर्ष 2020-21 का बजट पेश करने के एक दिन बाद रविवार को अपने कार्यालय में संवाददाताओं के साथ विशेष बातचीत में वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, 'आज जरूरत है अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने के प्रयास करने की, सरकार को यह प्रयास करना भी चाहिए और इसकी उम्मीद भी की जाती है, लेकिन केवल एक इंजन (सरकार) के भरोसे पूरी अर्थव्यवस्था को खींच कर आगे ले जाना, यह नहीं हो पाएगा. सरकार हो, निजी क्षेत्र हो, विदेशी पूंजी निवेश हो या चाहे कोई और हो, इन सबको मिलकर ही गाड़ी को आगे खींचना होगा'.
वित्त मंत्री ने कहा कि बजट में अर्थव्यवस्था को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए रास्ते और सुगम बनाने के उपाय किए गए हैं.उन्होंने कहा, 'ऐसा कर हम सभी के लिए रास्ते खोल रहे हैं ताकि चाहे निजी क्षेत्र हो, विदेशी निवेशक हो, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम क्षेत्र हो या फिर कारोबारी, सभी साथ मिलकर अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का काम करें और इसे आगे बढ़ाएं.'
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सरकार ने देश को 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. लेकिन देश दुनिया में जारी आर्थिक सुस्ती के चलते आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं.
चालू वित्त वर्ष 2019- 20 के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 11 साल के निचले स्तर पांच प्रतिशत रह जाने का अनुमान लगाया गया है. ऐसे में 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को लेकर शंका बढ़ी है.
रोजगार के सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि बजट के जरिए इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं. उन्होंने 'नीली अर्थव्यवस्था' का जिक्र किया. इस संबंध में उन्होंने बजट में घोषित 'सागर मित्र' योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि इसके तहत तटीय क्षेत्र में रहने वाले युवाओं को सरकार समर्थन देगी, उन्हें गहरे समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ने का प्रशिक्षण देगी. इसके लिए प्रशिक्षण केन्द्र बनाए जाएंगे. उन्हें आधुनिक नौकाएं उपलब्ध कराई जाएंगी.'