नई दिल्ली: देश के इतिहास में सबसे लंबे बजट भाषण देने वाले वित्त मंत्रियों में शामिल हुईं निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को लोकसभा में हाथ जोड़कर अपना भाषण शुरू किया और अंग्रेजी में बजट पेश करते हुए बीच-बीच में हिंदी, उर्दू, संस्कृत और तमिल भाषा में भी अपनी बात रखी.
फाल्साई रंग की सुनहरी किनारी वाली साड़ी पहने हुए वित्त मंत्री ने अपने करीब सवा दो घंटे के भाषण में एक भी बार पानी नहीं पीया. पूर्व की परंपरा को छोड़ते हुए उन्होंने 'बही खाता' जैसे आवरण में रखे बजट दस्तावेज निकालकर बजट भाषण दिया.
पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री ने दो घंटे 10 मिनट तक भाषण पढ़ा और सबसे लंबे बजट भाषण देने वाले वित्त मंत्रियों में शामिल हो गयीं.
आजादी के बाद से अब तक 88 केंद्रीय बजट पेश किए जा चुके हैं. सबसे लंबे और सर्वाधिक समय वाले बजट भाषणों की बात करें तो पूर्व वित्त मंत्री मनमोहन सिंह, अरुण जेटली और जसवंत सिंह के नाम लिये जा सकते हैं.
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1991 में तत्कालीन वित्तमंत्री सिंह ने 18,177 शब्दों का लंबा बजट भाषण दिया था. जेटली ने 2014, 2016 और 2017 में लंबे बजट भाषण दिये थे. बजट पेश करने के लिए 2003 में तत्कालीन वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने 2 घंटे 13 मिनट का समय लिया था.
भाषण समाप्त होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री के तौर बजट पेश करने के लिए सीतारमण को बधाई दी और वित्त मंत्री ने हाथ जोड़कर उनका और सदन का अभिवादन किया.
जब-जब वित्त मंत्री ने सरकार की उपलब्धियों और नयी योजनाओं का उल्लेख किया तब-तब सत्तापक्ष के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर अभिनंदन किया. इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और अग्रिम पंक्ति में ही बैठे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी लगातार मेजें थपथपाकर वित्त मंत्री का उत्साहवर्द्धन करते रहे.
हालांकि जब वित्त मंत्री ने कर संबंधी घोषणाएं कीं, जब उन्होंने पेट्रोल, डीजल पर उपकर में प्रति लीटर एक रुपये की वृद्धि तथा सोने (गोल्ड) पर आयात शुल्क को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत किये जाने का प्रस्ताव रखा और बैंक खाते से एक करोड़ रुपये से अधिक की निकासी पर दो प्रतिशत की दर से टीडीएस लगाये जाने की घोषणा की तो सदस्यों ने पहले की तरह मेजें नहीं थपथपाईं.
इन घोषणाओं पर विपक्ष के कुछ सदस्यों ने विरोध दर्ज कराने का प्रयास किया. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले बजट भाषण के दौरान पहली बार चुनकर आये सांसदों का उत्साह देखते ही बन रहा था.
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सत्तापक्ष की ओर सीटें पूरी तरह भरी हुई थीं, वहीं विपक्षी खेमे में कुछ सीटें जरूर खाली थीं. जब वित्त मंत्री ने नारी सशक्तीकरण की बात की और 'नारी तू नारायणी' के सूत्र को उद्धृत किया तो सदस्यों खासतौर पर महिला सांसदों के चेहरे पर मुस्कराहट साफ झलक रही थी.
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी को भी मुस्कराते हुए देखा गया.
तमिलभाषी सीतारमण ने जब हथकरघा उद्यमों और शिल्पकारों तथा कारीगरों का उल्लेख करते हुए पूरा एक वाक्य शुद्ध हिंदी में पढ़ा तो सदस्यों ने देर तक मेजें थपथपाईं और कुछ सदस्य ‘बहुत बढ़िया’ कहते हुए भी सुने गये.
इसी तरह उन्होंने उर्दू में भी एक शेर पढ़ा और पढ़ते हुए खासतौर पर यह बात कही कि उनका उच्चारण गलत हो सकता है. हालांकि सदस्यों ने उनके शेर पढ़ने के बाद मेजें थपथपाईं.
उन्होंने मंजूर हाशमी की शायरी के इस शेर को पढ़ा, 'यकीन हो तो कोई रास्ता निकलता है, हवा की ओट लेकर भी चिराग जलता है.'