हैदराबाद : महिलाओं के खिलाफ हर दिन होने वाले बलात्कार और अपराध हमारी सुबह की खबर में सुर्खियों में छाए रहते हैं. चाहे वह यूपी के हाथरस में 19 साल की दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या हो या बिहार के बक्सर में 27 वर्षीय या नाबालिगों के साथ राजस्थान या फिर मध्य प्रदेश में कथित रूप से बलात्कार.
इसका कोई अंत नहीं है. महिला सुरक्षा के मामले में हमारा देश कहां खड़ा है? भारत में महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने क्या किया है? तो इन सभी सवालों का केवल एक ही जवाब है निर्भया फंड.
निर्भया फंड 2013 में यूपीए सरकार द्वारा दिसंबर, 2012 में दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय पैरामेडिकल की छात्रा के सामूहिक बलात्कार के बाद महिलाओं की सुरक्षा और सुधार के लिए बनाया गया था.
महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, केंद्र ने निर्भया फंड के तहत 3,024 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जारी की है, जिसमें से राज्यों ने लगभग 1,919 करोड़ रुपये का उपयोग किया है. इसका मतलब यह है कि राज्यों द्वारा कुल राशि का 50 प्रतिशत भी उपयोग नहीं किया गया है.
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि देश में कुछ ऐसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी हैं, जहां इस धनराशि का इस्तेमाल तक नहीं हुआ है.
धन का उद्देश्य
निर्भया फंड विशेष रूप से सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा और सुरक्षा में सुधार के लिए बनाई गई परियोजनाओं के लिए स्थापित किया गया था.
इसके तहत जिन परियोजनाओं के लिए राज्यों को धन आवंटित किया गया है उनमें आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली, केंद्रीय पीड़ित क्षतिपूर्ति निधि, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध रोकथाम, वन-स्टॉप सेंटर योजना, महिला पुलिस स्वयंसेवकों और महिला हेल्पलाइन योजना शामिल हैं.