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निर्भया केस : सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की दोषी मुकेश की अर्जी

निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चार दोषियों में एक मुकेश सिंह ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे शीर्ष कोर्ट ने खारिज कर दी. मुकेश सिंह ने दावा किया था कि दिसंबर 2012 में हुए अपराध के समय वह दिल्ली में नहीं था.

मुकेश सिंह
मुकेश सिंह

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Published : Mar 19, 2020, 1:35 PM IST

Updated : Mar 19, 2020, 5:13 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के चार दोषियों में एक मुकेश सिंह की एक याचिका गुरुवार को खारिज कर दी, जिसमें मुकेश ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी. मुकेश ने अपनी याचिका में दावा किया था कि दिसंबर 2012 में हुए अपराध के समय वह दिल्ली में नहीं था.

गौरतलब है कि मुकेश का दावा था कि अपराध के समय 16 दिसंबर, 2012 को वह दिल्ली से बाहर था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसके इस दावे को अस्वीकार कर दिया था.

न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने मुकेश की अपील पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा कि दोषी अपने सभी विकल्पों का इस्तेमाल कर चुका है और अब किसी नए साक्ष्य पर विचार नहीं किया जा सकता.

पीठ ने कहा कि उसे मुकेश की इस याचिका में कोई दम नजर नहीं आता और इस पर विचार नहीं किया जा सकता.

पीठ ने अपने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ता ने मुकदमे की सुनवाई के गुण-दोष पर कुछ सवाल उठाए हैं और वह यह है कि आरोपी की मेडिकल स्थिति से संबंधित साक्ष्य पर विचार नहीं किया गया. उसने करोली से आरोपी की गिरफ्तारी पर भी संदेह जताया है.

पीठ ने कहा कि दोषी को अपनी बात रखने के लिए प्रत्येक अवसर प्रदान किया गया और उसे पूरी तरह सुना भी गया.

पीठ ने कहा, 'याचिकाकर्ता को सारे अवसर प्रदान किए गए और इस न्यायालय में दायर आपराधिक अपील पर विस्तार से सुनवाई की गई. आरोपी द्वारा उठाए गए सारे बिन्दुओं पर विचार किया गया और अपील खारिज की गई. पुनर्विचार याचिका पर विचार हुआ और उसे खारिज किया गया. इसलिए यह याचिका खारिज की जाती है.'

इस याचिका में दोषी ने फोनकॉल की रिकार्डिंग, दस्तावेज और सीबीआई जैसी जांच एजेंसी की रिपोर्ट मांगने के साथ ही यह घोषणा करने का अनुरोध किया था कि फांसी पर लटकाए जाने के अंतिम क्षणों में भी उसे किसी भी अदालत में जाने का कानूनी और संवैधानिक अधिकार है.

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मुकेश ने अपनी याचिका में कहा था कि उसे फांसी दिए जाने के बाद भी इस मामले के तथ्यों का न्यायिक परीक्षण होना चाहिए ताकि भविष्य में कोई निर्दोष व्यक्ति मीडिया के दबाव में न्याय की विफलता का शिकार न हो.

उच्च न्यायालय ने बुधवार को मुकेश की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि निचली अदालत के विस्तृत आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई वजह नजर नहीं आती है.

निचली अदालत ने मंगलवार को मुकेश सिंह की याचिका खारिज करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया से कहा था कि वह उसके वकील को उचित तरीके से परामर्श देकर संवेदनशील बनाए.

निचली अदालत ने पांच मार्च को इस सनसनीखेज अपराध में दोषी ठहराये गये चारों मुजरिमों- मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय सिंह- को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिए आवश्यक वारंट जारी किए थे.

Last Updated : Mar 19, 2020, 5:13 PM IST

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