दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

निर्भया केस : राष्ट्रपति ने खारिज की दोषी मुकेश की दया याचिका, 'फंदे के और करीब' पहुंचे चारों दोषी

लंबे अरसे से निर्भया केस में विभिन्न कानूनी प्रक्रियाओं के कारण फांसी देने में विलंब हो रहा है, लेकिन इन सब के इतर तिहाड़ जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को एक ही जेल में ले जाकर बंद कर दिया है. वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दोषी मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी थी, जिसे राष्ट्रपति ने भी नामंजूर कर दिया है. पढ़ें विस्तार से...

nirbhaya-case-four-convict-shifted-to-jail-number-three
चारों दोषी

By

Published : Jan 17, 2020, 11:01 AM IST

Updated : Jan 17, 2020, 1:33 PM IST

नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्रालय ने निर्भया मामले के दोषियों में से एक मुकेश की दया याचिका राष्ट्रपति के पास भेजी थी, जिसमें मंत्रालय ने याचिका अस्वीकार करने की सिफारिश की थी. सूत्रों से पता चला है कि राष्ट्रपति ने दोषी मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी है. राष्ट्रपति भवन ने गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी है. वहीं तिहाड़ प्रशासन ने चारों दोषियों को एक ही जेल में ले जाकर बंद कर दिया है, जहां फांसी घर भी है.

कड़ी सुरक्षा और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में होने के बादजूद भी निर्भया के दोषी विनय ने तिहाड़ जेल में फंदा लगाकर आत्महत्या की कोशिश की. जेल सूत्र और विनय के वकील एपी सिंह ने भी यह दावा किया कि घटना बुधवार सुबह की है. हालांकि, तिहाड़ के प्रवक्ता आईजी राज कुमार ने इस मामले से इनकार किया है.

5-6 फीट की ऊंचाई पर ही था फंदा इसलिए बचा
विनय जेल नंबर चार के सिंगल कमरे में बंद था. उसकी कोठरी और शौचालय के बीच सिर्फ एक पर्दा है. शौचालय में लोहे का छोटा सा खूंटीनुमा टुकड़ा लगा है बुधवार सुबह 9:00 से 10:00 के बीच उसने कपड़ों और गमछे से फंदा बनाकर उसमें फंसाया और गले में बांधकर लटकने की कोशिश की. फंदा 5 से 6 फीट की ऊंचाई पर ही होने के कारण वह लटक नहीं पाया.

पत्र लिखकर फांसी की नई तारीख बताने की मांग
बता दें की तिहाड़ जेल प्रसाशन ने भी दिल्ली सरकार को पत्र लिखकर फांसी की नई तारीख बताने की मांग की थी, क्योंकि पटियाला हाउस कोर्ट ने फांसी की तारीख आगे बढ़ाने और दोषियों की दया याचिका पर जेल प्रशासन से शुक्रवार तक रिपोर्ट मांगी है.

चारों एक ही जेल में
निर्भया के हत्यारों की फांसी की तारीख कभी 'हां' कभी 'न' के बीच भले झूल रही हो. तिहाड़ जेल प्रशासन मगर अपनी तैयारियों में जोर-शोर से जुटा है. इन्हीं तैयारियों में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण कदम गुरुवार का रहा जब चारों दोषियों को एक साथ जेल नंबर तीन में बंद कर दिया गया. तिहाड़ की यह वही तीन नंबर जेल है, जिसमें फांसी-घर मौजूद है. मतलब तिहाड़ परिसर में मौजूद अलग-अलग जेलों से हटाकर इन चारों दोषी पवन, मुकेश, अक्षय और विनय शर्मा को फांसी घर से चंद फर्लांग की दूरी पर ले जाकर बंद कर दिया गया है. जेल नंबर तीन में एक साथ बंद किए जाने का मतलब यह नहीं है कि, ये चारों अब एक दूसरे के बेहद करीब पहुंच गये हों. इनकी जेल नंबर तो तीन ही है, मगर जेल नंबर तीन में भी इनकी बैरक-वार्ड-सेल अलग-अलग हैं.

एक दूसरे से नहीं मिल पाएंगे दोषी
एक ही जेल की अलग अलग बैरक में बंद होने के बाद भी इन सबको एक दूसरे की शक्ल तक देखने को नहीं मिलेगी. अगर सब कुछ पूर्व निर्धारित तारीख के हिसाब से ही रहा तो, अब ये चारों मुजरिम सिर्फ और सिर्फ फांसी घर में फांसी के फंदों के नीचे खड़े होकर ही मिल पायेंगे. वहां भी मगर एक दूसरे के बेहद करीब पहुंचने/ खड़े होने के बाद भी इन चारों में से कोई किसी को देख पाने की हालत में नहीं होगा.

इसे भी पढे़ं- निर्भया केस: टल सकती है दोषियों की फांसी की तारीख, कल होगी सुनवाई

किसी को नहीं लगेगी भनक
इसकी भी वजह है. इनकी काल-कोठिरियों से फांसी लगाने को ले जाते वक्त इनके चेहरे काले कपड़े से ढंक दिये जायेंगे. पांवों में बेड़ियां और पीछे की ओर मोड़कर हाथों में हथकड़ियां पड़ी होंगी. तिहाड़ जेल महानिदेशालय सूत्रों के मुताबिक, 'चारों को चूंकि एक ही समय पर फांसी के तख्ते पर ले जाकर खड़ा करना है, तो एक साथ ही काल-कोठरियों से फांसी घर तक पहुंचाने के लिए निकालना होगा. मगर उस वक्त बेहद सतर्कता और शांति बरती जाएगी, ताकि किसी भी मुजरिम के फांसी घर में पहुंचने की आहट या भनक किसी दूसरे तक न पहुंचने पाए. इसके पीछे प्रमुख वजह होगी, ऐन वक्त पर एक साथ होते ही कहीं यह चारों कोई बखेड़ा न खड़ा कर दें.'

इसे भी पढे़ं- निर्भया कांड: चश्मदीद गवाह के खिलाफ दोषी पवन के पिता पहुंचे कोर्ट, जानिए क्यों

पहली बार चार को एक साथ फांसी
हालांकि एक साथ चूंकि तिहाड़ जेल के फांसी घर में चार-चार मुजरिमों को पहली बार फांसी लग रही है. इसलिए यह भी पहला मौका होगा जब, तिहाड़ जेल के फांसी घर में जेल अधिकारी-कर्मचारियों, तमिलनाडू स्पेशल पुलिस के हथियारबंद जवानों की तादाद भी कहीं ज्यादा होगी. मतलब फांसी घर में होगी तो श्मशान सी शांति, मगर भीड़ इससे पहले लगाई गयी फांसी के मौकों से कहीं ज्यादा होगी.

Last Updated : Jan 17, 2020, 1:33 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details