नई दिल्ली : साल 2012 के निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड मामले में सात साल, तीन महीने से ज्यादा समय के बाद 20 मार्च को इंसाफ हो गया. तमाम कानून दांव-पेंच के बाद निर्भया के दोषियों को आज तड़के 5.30 बजे फांसी पर लटका दिया गया.
2650 दिनों के इंतजार के बाद चार दोषियों को हुई फांसी के बाद निर्भया की मां ने खुशी जाहिर की है. चारों दोषियों- अक्षय, पवन, विनय और मुकेश को फांसी दिए जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में निर्भया की मां ने कहा, 'अंत में उन्हें फांसी दे दी गई, यह एक लंबा संघर्ष था. आज हमें न्याय मिला, यह दिन देश की बेटियों को समर्पित है. मैं न्यायपालिका और सरकार को धन्यवाद देती हूं.'
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद निर्भया केस में दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस के कारण देश और दुनिया में कर्फ्यू जैसा माहौल है, लेकिन फिर भी फांसी दी जा रही है.
उन्होंने कहा कि हमारे पक्ष में तर्क थे, इसलिए चार मौकों पर फांसी के लिए वारंट जारी हुए. पहली बार अनिश्चितकाल के लिए टाला गया था डेथ वारंट. एपी सिंह ने कहा कि फैसला हो रहा है, लेकिन न्याय नहीं. लंबे समय तक याद किया जाएगा यह केस.
गौरतलब है कि 22 जनवरी, 29 फरवरी, और 3 मार्च को अलग-अलग मौकों पर डेथ वारंट जारी हुए थे.
तिहाड़ में निर्भया के चारों दोषियों की फांसी, सात साल, तीन महीने और तीन दिन के बाद मिला इंसाफ
दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि अंतिम सांस तक वे लड़ेंगे. उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली हाईकोर्ट में जानबूझ कर आदेश की प्रति देने में देर की जा रही है. उन्होंने कहा कि मौत की सजा पाने वाले की आखिरी इच्छा पूरी की जाती है, ऐसा नहीं किया गया. मानवाधिकार का हनन हो रहा है, कोरोना वायरस के आधार पर पवन के परिवार वालों को मिलने से रोका गया. वे सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.
एपी सिंह ने कहा कि ये मामला सरकार द्वारा प्रायोजित और मीडिया द्वारा पोषित है. चारों दोषी कम उम्र के बच्चे हैं, इनकी राजनीतिक हत्या की जा रही है. उन्होंने कहा कि जब आंख पर पट्टी होती है, तो ऐसे ही फैसले होते हैं लेकिन ऊपर वाले की अदालत में आंख खोल कर फैसला होता है. उन्होंने कहा कि चार बार डेथ वारंट जारी होने के कारण लोकतंत्र के चारों स्तंभों (न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया) ने इस मामले को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है. फैसला होता है लेकिन न्याय नहीं होता है.