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एनआईए कोर्ट ने आईएसआईएस साजिश मामले में 15 को सजा सुनाई

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Published : Oct 17, 2020, 4:18 PM IST

एनआईए कोर्ट ने आईएसआईएस साजिश मामले में 15 लोगों को सजा सुनाई है. सभी आरोपी पहले दोषी ठहराए जा चुके थे. बता दें कि एनआईए ने नौ दिसंबर 2015 को कई धाराओं में मामला दर्ज किया था, जिसके तहत आईएसआईएस की योजना भारत में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मुस्लिम युवकों की भर्ती कर यहां अपना बेस स्थापित करना और आतंकवाद फैलाना था. पढ़ें पूरी खबर...

एनआईए कोर्ट
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नई दिल्ली :राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने शनिवार को कहा कि दिल्ली की एक अदालत ने आईएसआईएस साजिश मामले में पहले दोषी ठहराए जा चुके 15 लोगों को शुक्रवार को 5 से 10 वर्षो की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. मामला सीरिया स्थित आईएस मीडिया प्रमुख युसूफ-अल-हिंदी की ओर से भारतीय मुस्लिम युवाओं के संगठन में भर्ती से जुड़ा हुआ है. दरअसल, यूसुफ मुस्लिम युवाओं को आतंकी संगठन के लिए चुनना चाहता था और उनसे भारत में आतंकवादी गतिविधि करवाना चाहता था.

एनआईए के एक प्रवक्ता ने शनिवार को बताया कि दिल्ली की एक कोर्ट ने शुक्रवार को आईएसआईएस साजिश मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ सजा की घोषणा की है.

एनआईए की विशेष कोर्ट ने नफीस खान को 1,03,000 रुपये के जुर्माने के साथ 10 वर्ष का कठोर कारावास, मुदब्बीर मुस्ताक शेख को 65,000 जुर्माने के साथ सात वर्ष का कठोर कारावास, अबु अनस को 48,000 जुर्माने के साथ सात साल, मुफ्ती अब्दुस सामी को 50,000 रुपये जुर्माने के साथ सात साल, अजहर खान को 58,000 रुपये के जुर्माने के साथ छह वर्ष की सजा और अमजद खान को 78,000 रुपये के जुर्माने के साथ छह वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है.

वहीं एनआईए कोर्ट ने मोहम्मद शरीफ मोईनुदीन, आसिफ अली, मोहम्मद हुसैन, सैयद मुजाहिद, नजमुल हुडा, मोहम्मद अब्दुल्ला, मोहम्मद अलीम, मोहम्मद अफजल, सोहेल अहमद को पांच वर्ष की कठोर कारावास की सजा सुनाई है और प्रत्येक पर 38,000 रुपये का जुर्माना लगाया है.

एनआईए ने 9 दिसंबर 2015 को कई धाराओं में मामला दर्ज किया था, जिसके तहत आईएसआईएस की योजना भारत में विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए मुस्लिम युवकों की भर्ती कर यहां अपना बेस स्थापित करना और आतंकवाद फैलाना था.

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जांच के दौरान, कई शहरों में छापे मारे गए और 19 आरोपियों को पकड़ा गया था.

अधिकारी ने कहा कि जांच के दौरान यह खुलासा हुआ कि आरोपी ने जुनूद-उल-खलीफा-फील-हिंद नाम का संगठन बनाया था, जिसका काम आईएसआईएस के लिए मुस्लिम युवकों को भर्ती करना और भारत में आतंकवाद फैलाना था. आईएस यह काम सीरिया में मौजूद युसूफ-अल हिंदी ऊर्फ शफी अरमर ऊर्फ अंजान भाई के जरिए करवाना चाहता था जो कथित रूप से आईएसआईएस का मीडिया चीफ था.

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