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सूटकेस पर सोए बच्चे के वीडियो पर एनएचआरसी सख्त, पंजाब व यूपी को दिया नोटिस

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सूटकेस के ऊपर सोए छोटे बच्चे के वायरल वीडियो पर पंजाब और उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. चार सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट जमा करने के लिए एनएचआरसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है. जानें विस्तार से...

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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

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Published : May 16, 2020, 8:55 PM IST

नई दिल्ली : राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने आगरा हाईवे पर सूटकेस के ऊपर सोए हुए छोटे बच्चे को उसकी मां द्वारा सूटकेस सहित खींचने के वीडियो का संज्ञान लिया है. कथित तौर पर प्रवासी महिला पंजाब से उत्तर प्रदेश के झांसी पैदल जा रही थी. इस दौरान उस पर मीडियाकर्मियों का ध्यान गया.

इस हृदय विदारक दृश्य पर एनएचआरसी ने पंजाब और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों और उत्तर प्रदेश के आगरा जिला मजिस्ट्रेट को नोटिस जारी किया है. जिम्मेदार अधिकारियों/अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और पीड़ित परिवारों को दी गई राहत/सहायता सहित मामले में चार सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट जमा करने के लिए एनएचआरसी ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है.

एनएचआरसी ने कहा, 'लॉकडाउन के दौरान आने वाले हर मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारें ईमानदारी से काम कर रही हैं, लेकिन यह अजीब है कि स्थानीय अधिकारियों को छोड़कर, बच्चे और परिवार के दर्द को कई लोगों द्वारा देखा और ध्यान में आया. अगर स्थानीय अधिकारियों की सतर्कता होती, तो पीड़ित परिवार और कुछ अन्य लोगों को तत्काल राहत प्रदान की जा सकती थी. यह घटना मानव अधिकारों का उल्लंघन है और एनएचआरसी द्वारा हस्तक्षेप की आवश्यकता है.'

सूटकेस के ऊपर सोए छोटे बच्चे का वीडियो.

एनएचआरसी ने आगे कहा कि लॉकडाउन के दौरान बड़े पैमाने पर जनता के मानवाधिकारों के संबंध में स्थिति के साथ, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों की दुखभरी खबरें केंद्र सरकार और राज्य के अधिकारियों को इससे निपटने के लिए हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर करती हैं. हालांकि मीडिया रिपोर्टों में लोगों को निरंतर सुझाव दिया गया है. विशेष रूप से प्रवासी मजदूरों की, जिनकी यात्रा लंबी है, वे रुकने नहीं रहे हैं.'

सार्वजनिक अधिकारियों की उदासीनता की एक और घटना का उल्लेख करते हुए आयोग ने बताया कि एक प्रवासी मजदूर और गर्भवती महिला अपने बच्चे को सड़क पर जन्म दी और उसके बाद दो घंटे के भीतर ही अपनी यात्रा जारी कर दी.

आयोग के कहा कि इस तरह की घटनाएं केवल स्थानीय सार्वजनिक अधिकारियों की लापरवाही और अनुचित व्यवहार की ओर संकेत करती हैं. अधिकारी देखने के लिए आगे आने की जहमत नहीं उठाते कि जमीन पर वास्तविकता क्या है.

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