नई दिल्ली: कोरोना के प्रकोप ने विश्व स्तर पर सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को बदल दिया है. स्टार्टअप, शिक्षाविदों और उद्योगों सहित विज्ञान और प्रौद्योगिकी से संबंधित क्षेत्र कोरोना वायरस की वैक्सीन और दवाएं बनाने के लिए काम कर रहे हैं. कोरोना काल में देश की पांचवीं और नवीनतम विज्ञान नीति की घोषणा की गई है.
विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (एसटीआईपी) 2020 के सूत्रीकरण के लिए ट्रैक-1 सार्वजनिक और विशेषज्ञ परामर्श प्रक्रिया, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन और सचिव, डीएसटी प्रोफेसर आशुतोष शर्मा द्वारा शुक्रवार को शुरू की जाएगी.
भारत की साइंस एंज टेक्नोलोजी (S&T) नीति एक महत्वपूर्ण समय में तैयार की जा रही है, जब भारत और दुनिया कोरोना महामारी से निबटने के रास्ते ढ़ूंढ रही है. यह पिछले एक दशक में कई महत्वपूर्ण परिवर्तनों के बीच नवीनतम है, जिसमें विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार (एसटीआईपी) के लिए एक नए दृष्टिकोण और रणनीति के निर्माण की आवश्यकता है. नई नीति सामाजिक-आर्थिक कल्याण के लिए बनाई गई है.
पढ़ें:-COVID-19 संकट से उबरने के लिए जानें जरूरी नीतियां
डॉ. आशुतोष शर्मा, सेक्रटरी, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, ने नीति में ज्ञान सृजन और ज्ञान की खपत प्रणालियों के बीच संबंध को दिखाने की आवश्यकता पर जोर दिया.
ट्रैक 1 परामर्श प्रक्रिया में विज्ञान नीति फोरम के माध्यम से एक व्यापक सार्वजनिक और विशेषज्ञ परामर्श शामिल है, जो कि बड़े सार्वजनिक और विशेषज्ञ पूल से इनपुट लेने के लिए बना है, जिससे STIP 2020 के विकेंद्रीकृत, नीचे-ऊपर और समावेशी बनाया जा सके. एसटीआईपी 2020 सचिवालय के प्रमुख और सलाहकार डीएसटी डॉ. अखिलेश गुप्ता भी परामर्श के शुभारंभ पर उपस्थित रहेंगे.
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (ऑफिस ऑफ PSA) और विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के कार्यालय ने नई राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार नीति (STIP 2020) के निर्माण के लिए परामर्शी प्रक्रिया भी शुरू की . ट्रैक 1 परामर्श प्रक्रिया से नीति विद्वानों के साथ सार्वजनिक संवाद श्रृंखला, विषयगत पैनल चर्चा, लक्षित सर्वेक्षण उपकरण, प्रिंट मीडिया लेख और लिखित इनपुट के लिए चैनल, समुदाय पॉडकास्ट शामिल होंगे.
इसके लिए 21 केंद्रित विषयगत समूहों को गठित किया गया है. ट्रैक 3 में मंत्रालयों और राज्यों के साथ परामर्श किया जाएगा, जबकि ट्रैक 4 शीर्ष स्तर के मल्टी स्टेकहोल्डर परामर्श का गठन होगा. परामर्श प्रक्रियाएं पहले ही शुरू हो चुकी हैं और समानांतर में चल रही हैं. डीएसटी-एसटीआई पॉलिसी के कैडर के साथ निर्मित इन-हाउस पॉलिसी नॉलेज और डेटा सपोर्ट यूनिट के साथ एक सचिवालय, डीएसटी (प्रौद्योगिकी भवन) में स्थापित किया गया है जो पूरी प्रक्रिया को समन्वित करेगा.
पढ़ें:-कोरोना वैक्सीन विकसित करने में लगे हैं देश के 30 समूह : नीति आयोग
बता दें कि भारत ने 1958 में अपनी पहली विज्ञान नीति तैयार की थी, जिसे वैज्ञानिक नीति प्रस्ताव कहा गया, जो वैज्ञानिक स्वभाव और क्षमता निर्माण को ध्यान में रखकर बनाई गई थी. दूसरी विज्ञान नीति 1983 में आई, जिसने प्रौद्योगिकी नीति वक्तव्य के साथ तकनीकी दक्षता और आत्मनिर्भरता पर जोर दिया. 2003 में तीसरी विज्ञान नीति ने अनुसंधान और विकास में निवेश में वृद्धि पर फोकस किया. STIP 2013 ने सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी वाले नवाचार पर ध्यान केंद्रित किया.