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पीएम के कार्यक्रम में ममता का बोलने से इनकार करना इमोशनल कार्ड : राजनीतिक विश्लेषक - नेताजी की विरासत

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के 125वीं जन्म शताब्दी समारोह पर पश्चिम बंगाल और केंद्र के बीच जमकर सियासत हुई. ममता ने जहां 9 किलोमीटर का पैदल मार्च किया, वहीं प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में बोलने से इनकार कर दिया. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विश्लेषक और भाजपा प्रवक्ता दोनों से बातचीत की. आइए जानते हैं वह क्या बोले.

मोदी ममता
मोदी ममता

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Published : Jan 23, 2021, 9:47 PM IST

नई दिल्ली : नेताजी की विरासत को लेकर लड़ाई शनिवार को उनके 125वें जन्म समारोह पर अपने शबाब पर दिखी. पश्चिम बंगाल की पूरी सियासत नेताजी के नाम पर मार्च, प्रदर्शन और मांग करने में ही सिमट गई. 1965 में लाल बहादुर शास्त्री कोलकाता में नेताजी के जन्मदिवस में शामिल हुए थे. उसके बाद ये पहला मौका था जब कोई प्रधानमंत्री नेताजी के जन्मदिवस पर कोलकाता में कार्यक्रम में शरीक हुआ. कार्यक्रम में 'जय श्री राम के जयकारों' ने पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार को नया मोड़ दे दिया.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के 9 किलोमीटर लंबे पैदल मार्च में भी लोगों का लंबा हुजूम नजर आया, वहीं दूसरी तरफ नेताजी के जन समारोह पराक्रम दिवस पर प्रधानमंत्री के पहुंचने पर जिस तरह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हूटिंग की गई उससे नाराज ममता ने बोलने से ही इनकार कर दिया. वह इस कदर व्यथित हो गईं कि उन्होंने प्रधानमंत्री की मौजूदगी में ही इस सरकारी कार्यक्रम को पार्टी के कार्यक्रम की संज्ञा तक दे डाली.

राजनीतिक विश्लेषक राहुल शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा, ऐसा बंगाल में पहली बार नही हुआ है कि ममता बनर्जी ने जय श्रीराम के नारे पर इस तरह की प्रतिक्रिया दी है. 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान रैली करने जा रही ममता बनर्जी ने रास्ते में जय श्रीराम के नारे लगाने वालों को चेतावनी दी थी. आज भी ममता ने वैसा ही काम किया है.

राहुल शर्मा का कहना है कि 'ममता बनर्जी ने 2019 में भीड़ के मूड को देखकर भांप लिया था कि 2014 जैसे परिणाम नहीं होंगे. लेकिन उन्होंने ऐसी प्रतिक्रिया अपना मुस्लिम वोटबैंक बचाने के लिए दी थी. आज की बात करें तो ममता बनर्जी ने जो प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में बोलने से इनकार किया उससे उनकी सियासी खीझ झलक रही है. साथ ही ममता ने इमोशनल कार्ड भी खेलने की कोशिश की है.'

राहुल शर्मा का कहना है कि बड़े-बड़े नेता टीएमसी छोड़कर बीजेपी में जा रहे हैं इससे ममता बनर्जी में पहले से ही बौखलाहट है. जैसे ही जय श्रीराम के नारे लगे, ममता बनर्जी खुद को रोक नहीं पायीं. ममता की पार्टी और उनके कार्यकर्ता जय श्रीराम के नारे को सांप्रदायिक नारे के तौर पर मानते रहे हैं.

'जय श्री राम' के नारे से दिक्कत क्या : भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुदेश वर्मा ने ईटीवी से बातचीत में कहा कि ममता बनर्जी को यह बताना चाहिए कि जय श्री राम के नाम से उन्हें दिक्कत क्या है. पहले भी जब जय श्रीराम के नारे कार्यकर्ताओं ने लगाए थे तो वह भड़क उठी थीं.

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बीजेपी के प्रवक्ता का कहना है कि आखिर ममता बनर्जी किस तरह की राजनीति कर रही हैं, अगर भारत में 'जय श्री राम' का नाम ले लिया जाता है तो उन्हें इस बात को लेकर आपत्ति क्या है. कहीं उन्हें ऐसा तो नहीं लगता है की जय श्रीराम के नारे पर अगर वह इस तरह की प्रतिक्रिया देंगी तो जो मुस्लिम मतदाता उनसे अलग हो रहे हैं वापस आ जाएंगे.

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सुदेश वर्मा का कहना है कि वह मुसलमान जिसे वह रिझाने की कोशिश कर रही है उनके पूर्वज भी जय श्री राम ही हैं. बीजेपी के प्रवक्ता का यहां तक कहना है कि वे उनके पूर्वज का भी अपमान कर रही हैं. बीजेपी के प्रवक्ता ने यहां तक कह दिया कि इस तरह की प्रतिक्रिया से ममता बनर्जी ने खुद एक हथियार लोगों को दे दिया है कि लोग यह समझ जाएं कि उन्हें क्या खराब लगता है.

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