नई दिल्ली:बाल दुष्कर्म के मामले में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. सर्वोच्च न्यायालय ने बताया गया कि देशभर में 30 जून तक बाल दुष्कर्म के 1,50,332 मामले लंबित थे और इस प्रकार के मामलों के निपटान महज नौ फीसदी रहे हैं.इन मामलों में पीड़ित बच्चों के पक्ष में इंसाफ का इंतजार है.
बच्चों से यौन शोषण संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्देश दिया. जिन जिलों में 100 से अधिक बच्चों से यौन हिंसा के केस लंबित हैं उनकी सुनवाई के लिए विशेष कोर्ट के गठन का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिया.
आपको बता दें, पोक्सो कानून (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस ऐक्ट) को लागू हुए सात साल बीत जाने के बाद भी अभी डेटा प्रबंधन प्रणाली या एमआईएस (प्रबंधन सूचना प्रणाली) दुरुस्त करना है और केटेगरी के अनुसार डाटा को अगल-अलग किया जाना बाकी है.
समस्या की गंभीरता के बावजूद केंद्र और राज्यों की सरकारों ने बाल दुष्कर्म के मामलों को सुनियोजित करने की व्यवस्था नहीं बनाई है.
न्याय विभाग के एक सूत्र ने बताया, 'पोक्सो मामलों के डाटा को सुनियोजित करने के लिए हम डाटा पबंधन प्रणाली की रूपरेखा तैयार करने का काम शुरू कर रहे हैं. इससे हमें मामलों की सही संख्या और मामले की सुनवाई में प्रगति का पता चलेगा.'
इसके अलावा, बाल दुष्कर्म के मामलों की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों के पास अन्य मामलों का भी बोझ है.
मामले की सुनवाई के दौरान गुरुवार को शीर्ष अदालत को बताया गया कि पटियाला हाउस स्थित पोक्सो अदालत में बाल दुष्कर्म और मकोका मामले की सुनवाई की जा रही है.