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भारत में कोरोना संकट : आपातस्थिति के लिए एनडीआरएफ मुस्तैद, महानिदेशक बोले- 84 टीमें बनाई

देश में कोरोना वायरस का कहर बढ़ता जा रहा है. सरकार इस निपटने के लिए हर संभव कदम उठा रही है. इसी कड़ी में एनडीआरएफ के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा है कि घातक कोविड-19 के बढते मामलों और उसके फलस्वरूप देश में लगाए गए अप्रत्याशित लॉकडाउन के बीच यदि बल की सेवाओं की जरूरत पड़ी तो उसके लिए एनडीआरएफ ने पूरी तरह कमर कस ली है.

एस एन प्रधान
एस एन प्रधान

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Published : Mar 27, 2020, 7:51 PM IST

कोलकाता : आपादाओं से निपटने में कुशल राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस एन प्रधान ने कहा है कि घातक कोविड-19 के बढते मामलों और उसके फलस्वरूप देश में लगाए गए अप्रत्याशित लॉकडाउन के बीच यदि बल की सेवाओं की जरूरत पड़ी तो उसके लिए एनडीआरएफ ने पूरी तरह कमर कस ली है.

प्रधान ने कहा कि बल के कर्मी भी अपनी तैयारी के तहत कोविड-19 राज्य नियंत्रण कक्षों में मौजूद हैं. उन्होंने कहा, 'हमने प्रति बटालियन 84 छोटी कोर टीमें बनाई हैं. यह बल निजी सुरक्षा उपकरणों के साथ हर बटालियन में 600 कर्मियों को शामिल करने का प्रयास कर रहा है. हमने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को सूचित किया है कि हमारे कर्मी बिल्कुल तैयार है और प्रोटोकॉल के तहत जब भी हमारी जरूरत हो हमें बुलाया जा सकता है.'

उन्होंने कहा कि हमारे लोग राज्यों के समर्पित नियंत्रण कक्षों में तैनात किए गए हैं और हम सूचना, कार्य, जिम्मेदारी को लेकर स्थानीय प्रशासन के साथ हैं.

एनडीआरएफ में 12 बटालियन हैं और हर बटालियन में 1150 कर्मी हैं.

प्रधान ने कहा कि बिहार और तमिलनाडु कोरोना वायरस के रोकथाम के लिए एनडीआरएफ की मदद मांग चुके हैं. उन्होंने कहा कि गुरुवार को बिहार सरकार ने स्थानीय पुलिस एवं चिकित्साकर्मियों की मदद के लिए पटना एवं मुंगेर में एनडीआरएफ की दो टीमों को तैयार रखने की मांग की थी जबकि तमिलनाडु ने रेलवे स्टेशनों पर पृथक्करण के लिए हमसे सहयोग मांगा है.

प्रधान ने कहा कि बल के कर्मी प्राथमिक चिकित्सा सहायता और अस्पताल पूर्व उपचार के लिए प्रशिक्षित किए हैं और वे अग्रिम मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों के लिए राज्यों को सहयोग पहुंचा सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'हम डॉक्टरों की तरह प्रथम मोर्चा संभालने वाले और अर्धचिकित्साकर्मियों की तरह दूसरा मोर्चा संभालने वाले नहीं हैं लेकिन हम उनके बिल्कुल पीछे जरूर हैं. एनडीआरएफ के लोग पृथक केंद्रों एवं उन स्थानों पर मददगार हो सकते हैं जहां बड़े पैमाने पर मामले आ जाते हैं.'

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