विदेश मंत्री एस जयशंकर ने त्रिपाठी के निधन पर कहा कि वे उनके साथ विदेश मामलों की चर्चा किया करते थे.
जयशंकर ने ट्वीट कर लिखा, 'डीपी त्रिपाठी के निधन के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ. 1973 के बाद से, जब हम जेएनयू से जुड़े, दुनिया के कई मुद्दों पर उनके साथ चर्चा और बहस की. हमेशा खुले विचारों वाले और व्यावहारिक. उनकी बहुत याद आएगी.'
सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी ने डीपी त्रिपाठी को सहयात्री (fellow traveller) करार दिया.
येचुरी ने ट्वीट कर लिखा, 'कॉमरेड, साथी-छात्र, साथी-यात्री और भी बहुत कुछ. विश्वविद्यालय से और ठीक उसके अंतिम दिनों तक जब तक हम बोलते रहे, बहस करते रहे, असहमत रहे और एक साथ बहुत कुछ सीखा. आपको याद किया जाएगा, मेरे दोस्त. दिल से संवेदना.'
राष्ट्रीय लोक दल के नेता जयंत चौधरी ने भी डीपी त्रिपाठी के निधन पर शोक जताया. उन्होंने डीपी त्रिपाठी को एक वक्ता, योद्धा और अच्छा जानकार करार दिया.
जयंत चौधरी ने कहा, डीपी त्रिपाठी ने छात्र राजनीति से बाहर निकलकर अपनी तीक्ष्ण वक्तृत्व और बुद्धि के साथ अपनी पहचान बनाई. वे एक ऐसे योद्धा थे जो बीमारी और विपत्ति के दौर से गुजरे.
चौधरी ने कहा कि त्रिपाठी-जी हमेशा एक अच्छे सलाहकार रहे और एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने वादे किए और रिश्तों को बनाए रखा.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने त्रिपाठी को 'मित्र, दार्शनिक और मार्गदर्शक' के रूप में याद किया. उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'मेरे दोस्त दार्शनिक और अदम्य, अपरिवर्तनीय, उत्साही और प्रबुद्ध डीपी त्रिपाठी नहीं रहे. RIP प्रोफेसर, आप हमें तब छोड़ गए जब इस देश को शायद आपकी सबसे ज्यादा जरूरत थी.