मुंबई: मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा के कारण, किसानों ने अब तक रिकॉर्ड 1,095.37 लाख हेक्टेयर रकबे में रबी की बुवाई की है, लेकिन राष्ट्रीय थोक हैंडलिंग निगम के वर्ष 2020-21 के लिए पहले खरीफ फसल अनुमान के अनुसार अति वृष्टि से चावल और मक्का जैसे अनाज का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है.
एनबीएचसी ने एक बयान में कहा कि कुल 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस साल सामान्य बारिश हुई है, जबकि नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य से अधिक बारिश हुई.
मानसून के बाद के चरण में, महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्सों में चक्रवात से मध्यम से भारी वर्षा हुई है.
एनबीएचसी ने कहा कि कृषि आयुक्त द्वारा प्रारंभिक रिपोर्टों में यह उल्लेख किया गया कि बारिश के कारण 4.5 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन, मक्का, गन्ना और अरहर की खड़ी फसलों को नुकसान पहुंचा है.
एनबीएचसी के अनुसंधान एवं विकास विभाग के प्रमुख हनीस कुमार सिन्हा ने कहा “धान के रकबे में 6.74 प्रतिशत का सुधार होने के बावजूद उत्पादन पिछले साल की तुलना में 2.20 प्रतिशत कम होने की संभावना है. मक्के का रकबा 2.31 प्रतिशत अधिक रहा पर हम 5.71 प्रतिशत कम फसल होने की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश और कर्नाटक में खड़ी फसल की पैदावार पर भारी बारिश का असर देखा जा सकता है.
उन्होंने कहा कि ज्वार के रकबे में 1.17 प्रतिशत की कमी के बावजूद ज्वार का उत्पादन 1.22 प्रतिशत बढ़ सकता है. बाजरा खेती के रकबे में 3.71 प्रतिशत की वृद्धि रही होने की उम्मीद है, लेकिन उत्पादन में 14.40 प्रतिशत की गिरावट आने का आसार है.
एनबीएचसी ने कहा कि दलहन क्षेत्र में अरहर खेती के रकबे और उत्पादन में क्रमश: 9.78 प्रतिशत और 5.48 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिसका मुख्य कारण महाराष्ट्र, गुजरात, तेलंगाना और झारखंड जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों में अभी तक फसलों की अच्छी स्थिति का होना है.