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कोरोना वायरस की उत्पत्ति का वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी के रूप में घोषित किया है. हालांकि लोगों का एक बड़ा तबका सोशल मीडिया के माध्यम से जैविक युद्ध की आशंका जता रहा है. इस कारण भारत सहित दुनियाभर में दहशत देखी जा रही है. इसलिए ईटीवी भारत ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया है.

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Published : Apr 2, 2020, 8:51 PM IST

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कोरोना वायरस

हैदराबाद : विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोविड-19 को महामारी के रूप में घोषित किया है. हालांकि लोगों का एक बड़ा तबका सोशल मीडिया के माध्यम से जैविक युद्ध की आशंका जता रहा है. इस कारण भारत सहित दुनियाभर में दहशत देखी जा रही है. इसलिए ईटीवी भारत ने कोरोना वायरस की उत्पत्ति को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया है.

कोविड-19
माना जाता है कि 1960 के दशक में कोरोना से मिलता-जुलता वायरस सामने आया था. माइक्रोस्कोप से देखने पर यह वायरस 'क्राउन' यानी मुकुट की तरह दिखता है.

कोरोना वायरस मनुष्यों में फैलता है. यह आमतौर पर खांसी और बहती नाक के लक्षण के साथ आता है. कोरोना वायरस की उत्पति को लेकर अटकलें रहीं हैं कि यह मीट खाने से फैला है और सबसे अधिक संभावना चमगादड़ से है.

चीन के शोधकर्ताओं द्वारा डाटा

• 31 दिसंबर, 2019 को चीनी अधिकारियों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोरोना वायरस के प्रकोप के लिए सचेत किया. इसे गंभीर बीमारी घोषित किया गया, जिसे बाद में सार्स-कोव-2 नाम दिया गया.

• महामारी शुरू होने के कुछ समय बाद, चीनी वैज्ञानिकों ने सार्स-कोव-2 का डाटा दुनियाभर के शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराया.

• चीनी अधिकारियों ने महामारी का तेजी से पता लगाया और बताया कि मानव आबादी से मानव में संक्रमण के कारण कोविड-19 की संख्या बढ़ रही है.

• कई अन्य शोध संस्थानों के शोधकर्ताओं ने वायरस की उत्पत्ति और विकास का पता लगाने के लिए इस डाटा का उपयोग किया.

सार्स-कोव-2 प्राकृतिक प्रक्रियाओं से उत्पन्न हुआ

• कोरोना वायरस वुहान, चीन में पिछले साल उभरा था और तब से बड़े पैमाने पर COVID-19 (कोविड-19) महामारी का कारण बना और 70 से अधिक अन्य देशों में फैल गया.

• इम्युनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर, क्रिस्टियन एंडरसन के अनुसार.

• SARS-CoV-2 (सार्स-कोव-2) से संबंधित वायरस का सार्वजनिक सबूत नहीं मिला कि वायरस प्रयोगशाला में बना था.

स्क्रिप्स रिसर्च में इम्यूनोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के एसोसिएट पीएचडी प्रोफेसर क्रिस्टियन एंडर्सन ने कहा, 'ज्ञात कोरोनोवायरस उपभेदों के उपलब्ध डाटा से तुलना करने पर हम दृढ़ता से निर्धारित कर सकते हैं कि SARS-CoV-2 प्राकृतिक प्रक्रियाओं के माध्यम से उत्पन्न हुआ है.'

MERS और SARS

• तीन कोरोना वायरस इस सदी में उभरे हैं.

• कोरोना वायरस का एक बड़ा परिवार है जो व्यापक रूप से गंभीर बीमारियों का कारण बना है. कोरोना वायरस के कारण पहली ज्ञात गंभीर बीमारी 2003 में चीन में हुई, जो गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम (SARS) महामारी के रूप में सामने आई.

• गंभीर बीमारी का दूसरा प्रकोप 2012 में सऊदी अरब में मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (MERS) के साथ शुरू हुआ.

• 2002-03 में SARS-CoV (गंभीर तीव्र श्वसन सिंड्रोम कोरोनावायरस) चीन, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप में फैला. 8,000 से अधिक मामलों की पहचान की गई और संक्रमित लोगों में से लगभग 10 प्रतिशत की मृत्यु हो गई.

• MERS-CoV (मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस), 2012 में सऊदी अरब में ऊंटों से उभरा. दक्षिण कोरिया में 2015 में बड़े पैमाने पर प्रकोप हुआ. लगभग 2,500 मामले सामने आए हैं और इनमें से 34 प्रतिशत संक्रमित मारे गए.

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