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आठ बार प्रदेश का किया प्रतिनिधित्व, आज दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर

हिमाचल प्रदेश के जिला हमीरपुर के अनूप सिंह राणा एथलेटिक्स में आठ बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और दो बार नेशनल गेम्स में भाग ले चुके हैं. इसके अलावा अभी तक सैकड़ों खिलाड़ियों को प्रशिक्षण भी दे चुके हैं, लेकिन आज अपने परिवार के पालन पोषण के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं.

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Published : Sep 28, 2020, 9:00 PM IST

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आठ बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाला खिलाड़ी दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर

हमीरपुर : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (एनआईओएस) पटियाला से प्रशिक्षित एथलेटिक्स कोच एवं हमीरपुर के अणु निवासी खिलाड़ी अनूप सिंह राणा आठ बार राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. आज कोरोना की मार और सरकार की अनदेखी की वजह से दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं.

गौरतलब है कि, अनूप सिंह राणा एथलेटिक्स में आठ बार राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं और दो बार नेशनल गेम्स में भाग ले चुके हैं. अभी तक सैकड़ों खिलाड़ियों को प्रशिक्षण भी दे चुके हैं, लेकिन आज अपने परिवार के पालन पोषण के लिए दिहाड़ी मजदूरी करने को मजबूर हैं. खिलाड़ियों की अनदेखी के लिए अनूप सिंह राणा प्रदेश में चली आ रही लचर व्यवस्था, अफसरशाही, खिलाड़ियों के प्रति सरकारों के सुस्त रवैये को मानते हैं.

70 से ज्यादा पदक जीते
बता दें कि अनूप सिंह राणा ने वर्ष 1999, 2000 में अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में दो बार हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला का प्रतिनिधित्व किया. इसके अलावा 2001 से लेकर 2007 तक एथलेटिक्स प्रतियोगिता में राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया. वर्ष 2004 में मंडी के पड्डल मैदान में हुई राज्य स्तरीय सीनियर एथलेटिक्स प्रतियोगिता में अनूप सिंह राणा ने 100 मीटर दौड़ को 10.9 सेकेंड और 200 मीटर दौड़ को 22.1 सेकेंड में पूरा कर राज्य स्तरीय नए कीर्तिमान स्थापित किए. 1999 से लेकर 2007 तक करीब 70 से भी ज्यादा पदक जीत चुके हैं.

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खेल आरक्षण कोटे में करवाया पंजीकरण, 14 साल बाद भी नहीं मिला पत्र

वहीं, अनूप राणा का कहना है कि उन्होंने 2006 में खेल विभाग में खेल आरक्षण कोटे के तहत अपना पंजीकरण करवाया था, लेकिन 14 वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें कभी खेल विभाग की तरफ से कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ, जबकि इस दौरान खेल विभाग में ऐसे प्रशिक्षकों की नियुक्तियां हुईं, जिनको जिला स्तरीय खेलों में प्रतिनिधित्व करने के बाद सिर्फ 42 दिन का प्रशिक्षण मिला हुआ था.

जिस प्रशिक्षण को करने के लिए शैक्षणिक योग्यता मात्र दसवीं और जिला स्तरीय खेलों में प्रतिनिधित्व का आधार माना जाता था, जबकि प्रशिक्षक बनने की शैक्षणिक योग्यता स्नातक होने के साथ-साथ राष्ट्र स्तरीय प्रतियोगिता में कम से कम दो बार प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया हो, इसके बाद भी दो तरह की लिखित परीक्षाएं और शारीरिक योग्यता निरीक्षण के बाद ही प्रवेश मिलता है.

प्रशिक्षकों को नजरअंदाज कर चहेतों को सरकारी नौकरियां

अनूप राणा का आरोप है कि उन्हें नजरअंदाज करके अपने चहेतों को सरकारी नौकरियां देने के लिए सरकारों और खेल विभाग में मिलीभगत चल रही है. इसी के चलते आरएमपी रूल में बदलाव करके मात्र 42 दिन का प्रशिक्षण प्राप्त किए प्रशिक्षकों को नियुक्तियां दी गईं.

वहीं, अनूप सिंह राणा अब तक डीएवी हमीरपुर, आईआईटी मंडी व पंजाब के निजी विश्वविद्यालय में बतौर खेल प्रशिक्षक सैकड़ों खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दे चुके हैं, जिनमें से ढाई सौ के करीब खिलाड़ी देश के विभिन्न राज्यों से विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपने प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर अपना सर्वश्रेष्ठ दे चुके हैं.

वैश्विक महामारी कोरोना के चलते पैदा हुई विपरीत परिस्थितियों में भी अनूप सिंह राणा ने अपने प्रशिक्षु खिलाड़ियों का प्रशिक्षण जारी रखा है. सुबह-शाम समय निकाल कर आज भी अनूप सिंह राणा देश के विभिन्न राज्यों में स्थित खिलाड़ियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दे रहे हैं.

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