हैदराबादः केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नयी शिक्षा नीति(एनईपी) को मंजूरी दे दी, जिसमें स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक कई बड़े बदलाव किये गए हैं। साथ ही, शिक्षा क्षेत्र में खर्च को सकल घरेलू उत्पाद का 6 प्रतिशत करने तथा उच्च शिक्षा में साल 2035 तक सकल नामांकन दर 50 फीसदी पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश में शिक्षा के विकास का मार्गदर्शन करने के लिए एक रूपरेखा है. देश में 34 साल बाद शिक्षा नीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. अब पांचवी कक्षा तक की शिक्षा मातृ भाषा में होगी. हायर एजुकेशन (उच्च शिक्षा) के लिए सिंगल रेगुलेटर रहेगा (लॉ और मेडिकल एजुकेशन को छोड़कर). आइये नजर डालते हैं अब तक की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के विभिन्न पड़ावों पर.
भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीतियां
- कांग्रेस सांसद ने 1 मई 1964 को लोकसभा में एक प्रस्ताव रखा कि सरकार शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान नहीं दे रही है इसलिए शिक्षा के क्षेत्र में प्रभावी सोच का अभाव है. उन्होंने सुझाव दिया कि सांसदों की एक समिति को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के गठन पर ध्यान देना चाहिए.
- शिक्षा मंत्री एमसी छागला इससे सहमत हुए कि शिक्षा पर राष्ट्रीय समन्वय नीति होनी चाहिए. उन्होंने घोषणा की कि सरकार एक राष्ट्रीय आयोग का गठन करेगी.
- 1964 में यूजीसी अध्यक्ष डी एस कोठारी की अध्यक्षता में 17 सदस्यीय शिक्षा आयोग की स्थापना की गई इस आयोग के सुझावों के आधार पर, संसद ने 1968 में पहला एनईपी पारित किया।
- 1976 में, 42 वें संविधान संशोधन द्वारा शिक्षा को राज्य से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया.
- जनता पार्टी जिसमें बीजेपी के अग्रणी नेतागण थे, उन्होंने 1979 में एक नीति बनाने का प्रयास किया था, लेकिन इसे केंद्रीय सलाहकार बोर्ड फॉर एजुकेशन (CABE) द्वारा अनुमोदित नहीं किया गया था, जो सरकार का शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सलाहकार निकाय था.
- शिक्षा पर दूसरी राष्ट्रीय नीति, 1986 तब लाई गई थी जब राजीव गांधी भारत के प्रधानमंत्री थे.
- 1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति संशोधित की गई जब पी.वी. नरसिम्हा राव पीएम थे.
शिक्षा पर पहली राष्ट्रीय नीति 1968
- पहली राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत शिक्षा के 10+2+ 3 शिक्षा की संरचना और तीन भाषा के फॉर्म्यूले जिसे अधिकांश स्कूल फॉलो करते हैं, इस नीति के स्थायी विरासतों में से एक हैं.
- शिक्षा में विज्ञान और गणित की प्राथमिकता एक और महत्वपूर्ण बात है.
- इस नीति में शुरुआती स्कूल के वर्षों में मातृभाषा के उपयोग की वकालत की गई. विश्वविद्यालय प्रणाली में अनुसंधान को मजबूत करना एक और प्रमुख सिफारिश थी.
दूसरी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986
- 1986 की नीति में प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आधुनिकीकरण की झलक दिखी. और शिक्षा में सूचना प्रौद्योगिकी की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया.
- सर्व शिक्षा अभियान, मध्याह्न भोजन योजना, नवोदय विद्यालय (एनवीएस स्कूल), केंद्रीय विद्यालय (केवी स्कूल) और शिक्षा में आईटी का उपयोग 1986 के राष्ट्रीय शिक्षा नीति का परिणाम है.
- इसने शिक्षक, शिक्षा, बचपन की देखभाल, महिला सशक्तीकरण और वयस्क साक्षरता के पुनर्गठन पर अधिक ध्यान दिया.
- इसमें शैक्षिक संस्थानों का विकास और विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की स्वायत्तता पर भी ध्यान दिया गया.
- पी वी नरसिम्हा राव के पीएम बनने पर 1992 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को संशोधित किया गया. यह काफी हद तक पिछली नीति से मेल खाता था.
राष्ट्रीय शिक्षा नीतियों का कार्यान्वयन
- 1968 में शिक्षा राज्य का विषय था, और इस नीति को लागू करने में केंद्र की बहुत कम भूमिका थी.
- पहली नीति के लिए, सरकार एक उचित कार्यक्रम लाने में विफल रही और धन की कमी से कार्यान्वयन में कई अड़चनें आई.
- दूसरा एनईपी 1976 के संवैधानिक संशोधन के बाद आया और केंद्र ने व्यापक जिम्मेदारी ली और कई कार्यक्रम बनाए
- 1986 की राष्ट्रीय नीति को बेहतर तरीके से लागू किया गया.
शिक्षा पर विभिन्न आयोगों और समितियों पर एक नोट