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राष्ट्रीय तितली की होगी पहचान, टॉप-फाइव में झारखंड की तीन तितलियां

रंग-बिरंगी तितलियों की दुनिया बेहद खास होती ही है वे इतनी प्यारी होती हैं कि लोग उस पर मत्रमुग्ध हो जाते हैं. अब तितलियों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की पहल की जा रही है. बता दें कि टॉपल फाइव में झारखंड की तीन तितलियों को शामिल किया गया है.

National butterfly
झारखंड की तीन तितलियां

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Published : Sep 30, 2020, 2:26 PM IST

हजारीबाग (झारखंड) : रंग-बिरंगी तितलियों की दुनिया बेहद ही खूबसूरत होती है. इसे और भी अधिक खूबसूरत बनाने के लिए देश में पहली बार तितलियों की राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा आयोजित की जा रही है, जिसमें 500 से अधिक संस्था काम कर रही है. पांच सितंबर को गोवा से इसकी शुरुआत की गई है. 30 सितंबर को यह प्रतिस्पर्धा समाप्त हो जाएगी. इस आयोजन में जिस तरह से राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय जानवर जाने जाते हैं उसी तरह से अब राष्ट्रीय तितली की पहचान हो सकेगी.

टॉप-फाइव में झारखंड की तीन तितलियां

बटरफ्लाई मंथ सितंबर
इस वर्ष के सितंबर को बिग बटरफ्लाई मंथ के रूप में मनाया जा रहा है, जहां तितलियों पर सर्वे किया जा रहा है. भारत में यह सर्वे पहली बार हो रहा है ताकि तितलियों को संरक्षित किया जा सके. विदेशों में पहले भी इस तरह का कार्यक्रम का आयोजन हो चुका है. इस प्रतिस्पर्धा में 560 एनजीओ काम कर रहे हैं, जो तितलियों पर रिसर्च कर उन्हें चिंहित कर रहे हैं. झारखंड में अब तक 65 प्रजातियों को चिंहित किया गया है, जिसमें रांची और हजारीबाग से ही 35 प्रजातियां शामिल है.

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झारखंड की तीन तितलियां
हजारीबाग के लिए यह गौरव की बात है कि तितलियों की राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के टॉप फाइव में हमारे तीन रंग-बिरंगी तितलियां भी हैं. यह सिल्वर वर्क ब्लू, ब्लू पेंसिल और कॉमन ग्रास है. ऑनलाइन वोटिंग के जरिए राष्ट्रीय तितली चुनी जाएगी. दरअसल, जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए सितंबर को वर्ल्ड बिग बटरफ्लाई मंथ के रूप में मनाया जा रहा है. मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी और इंडियन बटरफ्लाई सोसायटी राष्ट्रीय तितली की घोषणा करेगी.

रंग-बिरंगी तितलियों की दुनिया और भी अधिक खूबसूरत हो जाएगी. जब देशवासी तितली के बारे में जानेंगे. जरूरत है आम जनता को भी तितलियों के प्रति और भी अधिक प्यार बढ़ाने की. इन्हें संरक्षित करने की. तितलियों को हम तभी संरक्षित कर सकेंगे जब हम पर्यावरण को संरक्षित करेंगे क्योंकि यही पर्यावरण उनका प्राकृतिक निवास है.

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