नई दिल्ली: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. दरअसल, शाह ने हाल ही में भारतीय सेना को 'नरेंद्र मोदी की सेना' कहा था. इसके साथ-साथ उन्होंने भोपाल से बीजेपी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा को भी आड़े हाथों लिया.
इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बात करते हुए, सीपीएम नेता दिनेश वार्ष्णेय ने कहा, 'चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों को स्पष्ट रूप से बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान सेना के नाम का इस्तेमाल ना किया जाए. वोट हासिल करने के लिये उनके नाम का इस्तेमाल सेना का अपमान होगा.'
उन्होंने आगे कहा, 'ये तब तक भी सही था, जब तक पीएम मोदी ने सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बात की. लेकिन अब भाजपा अध्यक्ष भारतीय सेना को मोदी की सेना कहकर संबोधित कर रहे हैं, जो कि बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है. सशस्त्र बल किसी एक राजनीतिक दल से संबंधित नहीं हैं.'
दिनेश वार्ष्णेय ने कहा, 'पिछली बार चूरू चुनावों में भी उन्होंने शहीदों के नाम पर वोट लेने की कोशिश की थी, इसीलिए हमारे महासचिव सुधाकर रेड्डी ने शाह के खिलाफ भारत के चुनाव आयोग को लिखा है.'
ईटीवी भारत से बातचीत करते सीपीएम नेता दिनेश वार्ष्णेय. सीपीएम नेता ने भोपाल लोकसभा से चुनाव लड़ रहीं बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को लेकर टिप्पणी की. उन्होंने कहा, 'साध्वी प्रज्ञा साल 2008 के मालेगांव विस्फोट की प्रमुख आरोपियों में से एक थीं. निर्वाचन आयोग को उन्हें चुनाव नहीं लड़ने देना चाहिए.'
उन्होंने साध्वी प्रज्ञा पर आगे कहा, 'पहली बात वह बरी नहीं हुई हैं, सिर्फ स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर हैं. फिर भी वह चुनाव लड़ रही हैं. वह एक आतंकवादी हैं और सरकार को उसे सलाखों के पीछे रखने के लिए उच्च न्यायालय जाना चाहिए और उसका नामांकन चाहिए रद्द कर देना चाहिए. हेमंत करकरे जैसे ईमानदार आदमी पर उनका बयान उनकी मानसिकता को दर्शाता है. यहां तक कि 13 पूर्व पुलिस महानिदेशकों ने भी चुनाव आयोग को प्रज्ञा का नामांकन रद्द करने के लिए पत्र लिखा है.'