दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

सुषमा अब नहीं बांधेंगी वेंकैया नायडू को राखी, राज्यसभा में दी गई श्रद्धांजलि - naidu remembers rakhi with sushma

देश ने सुषमा स्वराज के रूप में अपना कद्दावर नेता खो दिया है. देर रात सुषमा ने दिल्ली के एम्स अस्पताल में अंतिम सांस ली. आज सदन में भी सुषमा को श्रद्धांजलि दी गई. सदन में मौजूद सभी सदस्यों द्वारा कुछ समय का मौन रखा गया.

राज्यसभा में सुषमा को दी गई श्रद्धांजलि

By

Published : Aug 7, 2019, 2:00 PM IST

Updated : Aug 7, 2019, 2:45 PM IST

नई दिल्लीः पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कोराज्यसभा में बुधवार कोश्रद्धांजलि दी गई. वे राज्यसभा कीपूर्व सदस्य भी रह चुकी थीं. सुषमा स्वराज के निधन पर पूरे सदन ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी. सदन में उनके योगदान को भी याद किया गया.

सभापति एम वेंकैया नायडू ने सुषमा स्वराज से जुड़े संस्मरण याद करते हुए कहा कि सुषमा उन्हें हर साल राखी बांधने आती थी लेकिन इस बार वह रक्षाबंधन पर नहीं आ पाएंगी जिसका उन्हें अफसोस है.

सदन में भावुक हुए वेंकेया नायडू, देखें वीडियो...

बैठक शुरू होते ही सभापति नायडू ने सदन को स्वराज के निधन की जानकारी देते हुए कहा, 'नियति ने उन्हें हमारे बीच से उठा लिया.' उन्होंने कहा कि वह तीन बार...अप्रैल 1990 से अप्रैल 1996, फिर अप्रैल 2000 से अप्रैल 2006 तथा उसके बाद अप्रैल 2006 से मई 2009 तक राज्यसभा की सदस्य रहीं. साथ ही वह चार बार लोकसभा की भी सदस्य रहीं.

उन्होंने कहा कि सुषमा स्वराज 1977 में हरियाणा विधानसभा की सदस्य चुनी गयी थीं. बाद में वह केन्द्र में विदेश मंत्री, सूचना प्रसारण मंत्री और स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री भी रहीं. चार दशक के लंबे बेदाग राजनीतिक करियर के बाद उन्होंने स्वयं को राजनीतिक जीवन से अलग कर लिया जिसकी सभी वर्गों ने सराहना की थी.

पढे़ंः सुषमा स्वराज की मौत से पूरे देश में शोक की लहर, आंसू नहीं थम रहा विदिशावासियों के

नायडू ने कहा कि विदेश मंत्री के रूप में सुषमा ने विश्व के विभिन्न हिस्सों में संकट में फंसे भारतीयों को निकालने में सराहनीय भूमिका निभायी.

उन्होंने कहा कि वह 25 वर्ष की उम्र में हरियाणा सरकार की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनीं. वह लोकसभा में पहली महिला नेता प्रतिपक्ष बनीं. वह पहली महिला थीं जिन्हें असाधारण सांसद का खिताब मिला. वह 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं. वह नरेन्द्र मोदी सरकार में पहली बार देश की पूर्णकालिक महिला विदेश मंत्री बनीं.

नायडू ने कहा कि उनका अंतिम सार्वजनिक संदेश था, 'मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी.' इस संदेश से देश की एकता और संविधान के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता के बारे में पता चलता है.

दिवंगत नेता का यह संदेश जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 की अधिकतर धाराएं समाप्त करने संबंधी संकल्प के संसद में पारित होने के संदर्भ में था.

सुषमा का जन्म अंबाला में हुआ था. वह हिन्दी एवं अंग्रेजी की असाधारण वक्ता थीं जो श्रोताओं पर गहरा प्रभाव छोड़ती थीं.

नायडू ने कहा कि वह 'मेरी छोटी बहन' के समान थीं और उन्हें सदैव 'अन्ना' कहकर बुलाती थीं. वह हर रक्षाबंधन पर उन्हें राखी बांधती थीं. नायडू ने कहा कि उपराष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने कहा था कि 'इस बार आप मेरे घर पर राखी बंधवाने नहीं आइयेगा, क्योंकि यह उपयुक्त नहीं होगा. मैं आपके घर राखी बांधने आऊंगी.'

नायडू ने कहा कि वह इस वर्ष रक्षाबंधन पर उनकी कमी बहुत महसूस करेंगे.

सभापति ने कहा कि विभिन्न भूमिकाओं में उल्लेखनीय योगदान के कारण सुषमा स्वराज हमारे लिए हमेशा प्रेरणा की स्रोत रहेंगी.

इसके बाद सदस्यों ने सुषमा स्वराज के सम्मान में कुछ क्षणों का मौन रखा.

(पीटीआई इनपुट)

Last Updated : Aug 7, 2019, 2:45 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details