मार्टिन लूथर किंग जूनियर, दलाई लामा, नेल्सन मंडेला, अडोल्फ़ो पेरेज़ एस्क्विवेल समेत विभिन्न महाद्वीपों के कई नोबेल पुरस्कार विजेता नेता गांधी के दर्शन और तरीके से प्रभावित थे. रंगभेद नीति के खिलाफ अश्वेतों के आंदोलन के जरिए नेल्सन मंडेला और डेसमंड टूटू ने अपने यहां क्रांतिकारी बदलाव लाया. गांधी से प्रेरित होकर इस आंदोलन में वे लोग हिंसा का रास्ता छोड़कर शांतिपूर्व विरोध की ओर बढ़े.
मार्टिन लूथर किंग जू. को लोकप्रिय अमेरिकी गांधी कहा जाता था. उन्होंने 'प्रिलग्रिमेज टू नॉनवायलेंस' नाम की किताब में लिखा है, 'जितना ज्यादा मैं गांधी के दर्शन की गहराई में डूबता गया, प्रेम की शक्ति के बारे में उतना ही ज्यादा संदेह कम होता चला गया. और मैंने पहली बार यह महसूस किया कि प्रेम के बारे में जो ईसाई सिद्धांत है, यदि उसे गांधीवादी तरीके से संचालित किया जाए, तो यह सबसे अधिक ताकतवर हथियार होगा, खासकर उन शोषितों के लिए जो आजादी हासिल करने के लिए संघर्षरत हैं. '
गांधी के संत या ईशरत्व गुण से बहुत लोग प्रभावित थे. जैसे स्टेनली जोन्स, हेनरी रोजर, डब्ल्यू डब्ल्यू पियर्सन और डॉ कोरमैन. ये सभी प्रोस्टेंट थे. दीनबंधु सीएफ एंड्रयूज गांधी से बहुत बड़े प्रशंसक थे.
इतिहास दिखाता है कि अहिंसा के रास्ते चलकर दुनिया भर में कई नेताओं ने अपने देश में आमूल-चूल बदलाव लाए हैं. कई सफलताएं पाई हैं. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के नेतृत्व में 1960 के अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन का अफ्रीकी-अमेरिकियों के लिए राजनीतिक अधिकारों में समापन हुआ. अहिंसक प्रतिरोध की वजह से पूर्वी यूरोप में साम्यवाद का पतन हो गया. यानि पोलैंड में सॉलिडेरिटी और चेकोस्लोवाकिया में चार्टर 77 जैसी ताकतों के नेतृत्व में विरोध हुआ था. फिलीपींस में फर्डिनेंड मार्कोस की सरकार 1986 में गिर गई. सेना ने लोगों पर गोली चलाने से इनकार कर दिया. टैंक लेकर चलने वाले सैनिकों के सामने जब फूल लेकर लड़कियां आने लगीं, तो उनकी इन तस्वीरों ने करिश्मा कर दिया. आज भी ये तस्वीरें झकझोर देती हैं.
जोसेफ जीन लैंजा डेल वास्तो वास्तव में एक विद्वान ईसाई आदर्शवादी थे. वह 1937 में गांधी से मिलने के लिए वर्धा आए. उन्होंने 1943 में ले पेलेरिंज औक्स सोर्रेस नाम की किताब लिखी. वे गांधी के अनुयायी बन गए. गांधी ने उन्हें एक भारतीय नाम- शांतिदास या 'शांति का सेवक' दिया. बाद में डेल वस्तो 1957 में फ्रांसीसी राजनीति में सक्रिय हो गए, फ्रांसीसियों द्वारा अल्जीरिया की यातना के विरोध में 20 दिनों तक उपवास किया.
फिलिस्तीन में प्रोफेसर एडवर्ड सेड को गाजा के गांधी के रूप में जाना जाता था. दक्षिण अफ्रीका में डरबन स्ट्रीट का नाम गांधी के नाम पर रखा गया है. अर्जेंटीना के एस्क्विवेल ने पीस और जस्टिस आंदोलन की शुरुआत की. उस समय 1970 के दशक में उन्होंने पैन-लैटिन अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन को अपनाया. अहिंसा को अपना माध्यम बनाया. उस समय महाद्वीप हिंसक संघर्ष की चपेट में था.