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मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामला : कोर्ट ने  फैसला 20 जनवरी तक टाला, सीबीआई से मांगा जवाब - muzaffarpur shelter home case on 20th

बिहार स्थित मुजफ्फरपुर के बहुचर्चित बालिका गृह केस में अदालत ने फैसला टाल दिया है. अब कोर्ट ने इसे 20 जनवरी का समय दिया है. बता दें कि इस मामले में 14 नवंबर को ही फैसला सुनाया जाना था, लेकिन दिल्ली में वकीलों की हड़ताल के कारण उस समय भी निर्णय टाल दिया गया था. इस बार मुख्य आरोपी की तरफ से दायर याचिका पर न्यायालय ने सीबीआई से जवाब मांगा है. पढ़ें पूरी खबर...

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मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में फैसला टला

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Published : Jan 14, 2020, 10:26 AM IST

Updated : Jan 14, 2020, 5:30 PM IST

नई दिल्ली : मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने निर्णय 20 जनवरी तक टाल दिया है. दरअसल मंगलवार को इस केस में फैसला आना था, लेकिन आरोपियों के वकील ने कोर्ट से कहा कि इस केस के गवाह वास्तविक नहीं हैं.

आरोपी की याचिका पर अदालत ने सीबीआई से जवाब मांगा
मुजरफ्फपुर के आश्रय गृह में कई लड़कियों के कथित यौन और शारीरिक शोषण के मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है. याचिका में दावा किया गया है कि मामले में जो गवाह हैं, उनके बयान विश्वास योग्य नहीं हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सीबीआई को दो दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.

मामले में कुछ आरोपियों का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता धीरज कुमार ने कहा कि यह याचिका इसलिए दायर की गई है कि जांच एजेंसी ने उच्चतम न्यायालय में यह बयान दिया है कि जिन लड़कियों के बारे में ऐसा माना जा रहा था कि उनकी कथित तौर पर हत्या कर दी गई है, वे असल में जिंदा हैं.

CBI रिपोर्ट को बनाया गया आधार
बता दें कि आरोपियों ने यह मांग सीबीआई की सुप्रीम कोर्ट में दी गई रिपोर्ट के आधार पर किया है, जिसमें कहा गया है कि आश्रय गृह में एक भी मौत नहीं हुई थी. सीबीआई ने 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में सौंपी अपने रिपोर्ट में कहा है कि किसी लड़की की हत्या आश्रय गृह में नहीं हुई, जो कंकाल और हड्डियां मिलीं वो किन्हीं और बालिग लोगों की थीं.

दो बार पहले भी टल चुका है फैसला
गौरतलब है कि इससे पहले भी दो बार फैसला टल चुका है.12 दिसंबर 2019 को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ के छुट्टी पर होने के कारण फैसला टाल दिया गया था. वहीं पिछले 14 नवंबर को भी वकीलों की हड़ताल के चलते फैसला टाल दिया गया था. बता दें कि पिछले 30 सितंबर को एडिशनल सेशंस जज सौरभ कुलश्रेष्ठ ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.

इसे भी पढ़ें- मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस: CBI को आरोपियों के दस्तावेज जमा कराने का आदेश

5 फरवरी 2019 से सुनवाई शुरू हुई थी
साकेत कोर्ट ने पिछले 25 फरवरी से इस मामले में सुनवाई शुरु की थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 7 फरवरी को इस केस की सुनवाई बिहार से दिल्ली की साकेत कोर्ट में ट्रांसफर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस मामले की सुनवाई 6 महीने में पूरी की जाए. पिछले 30 मार्च को आरोपियों के खिलाफ यौन उत्पीड़न, आपराधिक साजिश और पॉस्को एक्ट के तहत आरोप तय किए गए थे.

कौन-कौन हैं आरोपी?
इस मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया है उनमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर, शाइस्ता प्रवीण ऊर्फ मधु, मोहम्मद साहिल ऊर्फ विक्की, मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर का चाचा रामानुज, बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष दिलीप वर्मा, शेल्टर होम के मैनेजर रामाशंकर सिंह, अश्विनी कुमार और कृष्णा कुमार राम शामिल हैं.

बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपी) का पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर इस आश्रय गृह का मुख्य संचालक था.

Last Updated : Jan 14, 2020, 5:30 PM IST

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