प्रयागराज: इलाहाबाद संग्रहालय के प्रथम तल पर बनी गांधी वीथिका में गांधीजी के साबरमती आश्रम से लेकर संगम तक की यादें बखूबी संजोयी गई हैं. वीथिका की भव्यता और दुर्लभ फोटो व वस्तुओं का अनुपम संग्रह गांधीजी की तमाम स्मृतियों को ताजा कर देती हैं.
हॉल में प्रवेश करते ही सामने गांधीजी का चरखा रखा है. उसके ऊपर बापू का बड़ा चित्र और उसमें लिखे सात सामाजिक पाप गांधी दर्शन को दर्शाते हैं. इसमें सिद्धांत बिना राजनीति, कर्म बिना धन, विवेक बिना आनंद, चरित्र बिना ज्ञान, नैतिकता बिना व्यापार, मानवता बिना विज्ञान और त्याग बिना पूजा लिखा है.
महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती इसके साथ संग्रहालय में गांधीजी के बचपन से लेकर संगम में उनकी अस्थि विसर्जन की तस्वीरे दीवारों पर सजाई गई हैं. जिसमें गांधीजी का इलाहाबाद आना और देश के आजादी के लिए आंदोलन करना जैसे दुर्लभ तस्वीरों का संगम देखने को मिलेगा.
वीथिका में बायीं ओर से गांधीजी के बचपन के चित्रों की शुरुआत होती है जो क्रम से संगम में अस्थियों के विजर्सन तक के दृश्य पर समाप्त होती है.
146 चित्रों में बापू के शैक्षिक, सामाजिक, राजनीतिक, विदेशी राजनयिकों से मिलने, भाषण, दांडी मार्च, सत्याग्रह आंदोलन, कस्तूरबा गांधी की सेवा भावना, पं. नेहरू की ओर से संग्रहालय को भेंट किया गया नमक और बापू की घड़ी, यरवदा जेल से शहर के वकील दिवाकर सिंह को 3 मार्च 1933 में भेजा गया पत्र, 31 जनवरी 1948 में निकली शवयात्रा, पीतल के कासकेट में रखी अस्थियां और संगम में अस्थि विसर्जन के चित्र शामिल हैं.
इलाहाबाद संग्रहालय के निदेशक डॉक्टर सुनील गुप्ता ने बताया कि इलाहाबाद संग्रहालय में गांधीजी से जुड़ी हर एक तस्वीरों को बहुत ही सहेज कर रखा गया है. देश का एक मात्र संग्रहालय इलाहाबाद है जहां गांधी से जुड़ी बहुत ही सामग्री रखी गई है. गांधी की तस्वीरों से लेकर उनके द्वारा लिखे गए पत्र भी प्रदर्शित किए गए हैं. इसके साथ ही इलाहाबाद में गांधी जी द्वारा किये गए आंदोलन की भी चित्र शामिल है.
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संग्रहालय के निदेशक बताते हैं कि जब महात्मा गांधी प्रयागराज में आयोजित एक गोष्ठी में आये थे, उनकी घड़ी उसी जगह छूट गई थी, उस घड़ी को भी संग्रहालय में रखा गया है. इसके साथ ही जब दांडी यात्रा द्वारा लाए गए डंडी नमक को भी प्रयागराज लाया गया था. उस नमक को नेहरू ने पांच सौ रुपए को यहां बेचा था. नमक से मिलने वाले रुपये से स्वतंत्रता आंदोलनकारियों के ऊपर खर्च किया गया था. वह नमक भी संग्रहालय में सजाया गया है.
अर्थी विसर्जन के लिए जिस वाहन का प्रयोग किया था आज भी वह अर्थी स्मृति वाहन संग्रहालय के बाहर लगाया गया है. संग्रहालय में आने वाले दर्शक गांधी जी के बचपन से लेकर उनकी संघर्ष, आंदोलन, अंतिम संस्कार जैसे तस्वीरों के साथ कई नामचीन वस्तुओं से रूबरू होते हैं.