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NASVI का दावा- स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट के कई खंड पांच वर्ष बाद भी लागू नहीं

नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) ने दावा किया है कि राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के पांच वर्ष से भी ज्यादा समय बीतने के बावजूद स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट, 2014 के कई महत्वपूर्ण खंडों को अब तक लागू नहीं किया जा सका है. एनएएसवीआई की वरिष्ठ सदस्य संगीता सिंह ने इस मामले पर ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि एसोसिएशन ने अधिनियम के उचित कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से मदद मांगी है.

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Published : Jan 4, 2020, 7:57 PM IST

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संगीता सिंह

नई दिल्ली : स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका का संरक्षण एवं पथ विक्रय का विनियमन) एक्ट, 2014 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिले पांच वर्ष से भी ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन उसके कई महत्वपूर्ण खंडों को अब तक लागू नहीं किया जा सका है. नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) ने कुछ ऐसा ही दावा किया है. एसोसिएशन ने अधिनियम के उचित कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से मदद मांगी है.

एनएएसवीआई की वरिष्ठ सदस्य संगीता सिंह ने इस मामले पर ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार 2014 में यह अधिनियम लायी थी, लेकिन आज भी अधिनियम के कई खंडों को लागू किया जाना बाकी है.

संगीता ने दावा किया कि नगर निगमों के स्वहित की वजह से यह अधिनियम पूरी तरह लागू नहीं हो पा रहा है.

उन्होंने कहा कि अधिनियम का महत्वपूर्ण खंड टाउन वेंडिंग मशीन (टीवीएम) है और कई राज्यों ने अब तक टीवीएम का गठन तक नहीं किया है. इस मामले की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों पर है, लेकिन राज्यों के नगर निगम स्ट्रीट वेंडरों को विनियमित करना नहीं चाहते.

उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा की जा रही बेदखली की कार्रवाई मूल रूप से पटरी व्यवसाइयों का भयादोहन है.

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संगीता ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर (पटरी दुकानदार) विनियमित होने और कर भुगतान करने के लिए तैयार हैं, लेकिन व्यक्तिगत लाभ के चलते नगर निगम ऐसा नहीं कर रहा है.

उन्होंने राज्य सरकारों को सुझाव दिया कि वे यह पता लगाने के लिए सर्वेक्षण कराएं कि क्या स्ट्रीट वेंडर यातायात को बाधित करने का काम कर रहे हैं.

संगीता ने कहा, 'अधिनियम के साथ राजनीति होगी. हमने कई बार शहरी विकास मंत्रालय के सचिव से संपर्क किया और हम उनके साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं.'

गौरतलब है कि एनएएसवीआई देशभर के पटरी दुकानदारों के लिए वकालत का एक मंच है और पूरे देश में 1100 स्ट्रीट वेंडर्स संगठन हैं.

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आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत में एक करोड़ से अधिक स्ट्रीट वेंडर्स है. मुंबई में इनकी संख्या दो लाख पचास हजार, दिल्ली में चार लाख पचास हजार और कोलकाता में एक लाख पचास हजार है.

पटरी दुकानदारों द्वारा एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग का उल्लेख करते हुए सिंह ने कहा कि उनका संगठन इस संबंध में जागरूकता फैला रहा है.

उन्होंने कहा, 'हालांकि यह दावा करना आसान नहीं है कि हमने एकल उपयोग प्लास्टिक का पूरी तरह से बहिष्कार कर दिया है, लेकिन हमें इसके विकल्प की जरूरत है. यदि हमें विकल्प मिलता है तो निश्चित रूप से प्लास्टिक का उपयोग बंद कर सकते हैं.'

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