नई दिल्ली : स्ट्रीट वेंडर्स (जीविका का संरक्षण एवं पथ विक्रय का विनियमन) एक्ट, 2014 को राष्ट्रपति से मंजूरी मिले पांच वर्ष से भी ज्यादा समय बीत चुका है, लेकिन उसके कई महत्वपूर्ण खंडों को अब तक लागू नहीं किया जा सका है. नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया (NASVI) ने कुछ ऐसा ही दावा किया है. एसोसिएशन ने अधिनियम के उचित कार्यान्वयन के लिए केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से मदद मांगी है.
एनएएसवीआई की वरिष्ठ सदस्य संगीता सिंह ने इस मामले पर ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि सरकार 2014 में यह अधिनियम लायी थी, लेकिन आज भी अधिनियम के कई खंडों को लागू किया जाना बाकी है.
संगीता ने दावा किया कि नगर निगमों के स्वहित की वजह से यह अधिनियम पूरी तरह लागू नहीं हो पा रहा है.
उन्होंने कहा कि अधिनियम का महत्वपूर्ण खंड टाउन वेंडिंग मशीन (टीवीएम) है और कई राज्यों ने अब तक टीवीएम का गठन तक नहीं किया है. इस मामले की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों पर है, लेकिन राज्यों के नगर निगम स्ट्रीट वेंडरों को विनियमित करना नहीं चाहते.
उन्होंने कहा कि नगर निगम द्वारा की जा रही बेदखली की कार्रवाई मूल रूप से पटरी व्यवसाइयों का भयादोहन है.
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संगीता ने कहा कि स्ट्रीट वेंडर (पटरी दुकानदार) विनियमित होने और कर भुगतान करने के लिए तैयार हैं, लेकिन व्यक्तिगत लाभ के चलते नगर निगम ऐसा नहीं कर रहा है.