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बेटी की दुर्लभ बीमारी के इलाज के लिए दंपती ने जुटाए ₹16 करोड़, अब नई समस्या हुई खड़ी - सोशल मीडिया से मिली मदद

सोशल मीडिया को हम सिर्फ मनोरंजन का हिस्सा मानते हैं, लेकिन इसके फायदे भी बेहतर हैं. मुंबई के एक दंपती ने बेटी की गंभीर बीमारी के इलाज के लिए सोशल मीडिया और कुछ चिकित्सा सहायता संगठनों के माध्यम से 16 करोड़ रुपये जुटाने में सफलता पाई है. हालांकि, इनके सामने अमेरिका से इंजेक्शन मंगाने पर लगने वाले करोड़ों के आयात शुल्क की समस्या खड़ी हो गई है.

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Published : Jan 28, 2021, 9:32 PM IST

मुंबई :शहर की बच्ची तीरा कामत का इलाज एसआरसीसी अस्पताल में चल रहा है. वह स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित है. जीन थेरेपी से बीमारी को ठीक करने के लिए इंजेक्शन की आवश्यकता होती है. हालांकि, इस इलाज की कीमत लगभग 16 करोड़ रुपये है. तीरा के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग के माध्यम से धन जुटाया है. इन इंजेक्शनों पर दो से तीन करोड़ रुपये का आयात शुल्क लगता है. इसलिए तीरा के माता-पिता के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है. अब तीरा के माता-पिता ने मदद के लिए केंद्र व राज्य सरकार से गुहार लगाई है.

मुंबई के अंधेरी में रहने वाले प्रियंका और मिहिर कामत के घर 14 अगस्त 2020 को एक बच्ची ने जन्म लिया. उसका नाम तीरा है. बेबी तीरा को दो सप्ताह के बाद दूध पीने में परेशानी होने लगी. उसकी हालत देखने के बाद उसे तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाया गया. जहां एक दौर के परीक्षण के बाद उन्हें 24 अक्टूबर को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) का पता चला. इस बीमारी की दवा जीन थेरेपी का एक इंजेक्शन है. हालांकि, इसकी कीमत बहुत अधिक लगभग ₹16 करोड़ है. जैसे ही माता-पिता को यह बीमारी की जानकारी हुई उनकी पूरी दुनिया ही मानों वीरान हो गई.

आयात शुल्क बना समस्या

चूंकि यह बीमारी दुर्लभ है, इसलिए देश में इसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं थी. हालांकि, दंपती को जल्द ही एहसास हो गया कि उन्हें अमेरिकी फार्मा कंपनी से महंगी दवाएं मिल सकती हैं. इस उपचार के लिए आवश्यक इंजेक्शन की लागत 16 करोड़ रुपये है. राशि को बड़ा मानकर क्राउड फंडिंग का विकल्प चुना गया. तीरा के माता-पिता की इच्छा के अनुसार कुछ ही महीनों के भीतर राशि प्राप्त हो गई. लेकिन अब उनके सामने एक और समस्या आ गई है कि भारत में दवा लाने के लिए आयात शुल्क के रूप में उन्हें 2 से 5 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा.

क्या है यह बीमारी

यह पाया गया कि जिस व्यक्ति में बीमारी विकसित होती उसके पास वह जीन नहीं होता जो प्रोटीन बना सके. नतीजतन तंत्रिका और मांसपेशियों को मजबूत करने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है. इससे भोजन को निगलने, सांस लेने में कठिनाई होती है. इस दुर्लभ बीमारी पर विदेश में काफी शोध हो रहा है और कुछ दवाएं हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में उपलब्ध हुई हैं. माता-पिता के लिए यह दवा महंगी थी, लेकिन तीरा के माता-पिता अपनी मजबूत इच्छा शक्ति के कारण बड़ी रकम जुटाने में कामयाब रहे. डॉक्टरों की मदद से युगल को क्राउड फंडिंग के माध्यम से 16 करोड़ रुपये मिल गए.

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सोशल मीडिया से मिली मदद

दंपती ने बताया कि वे सोशल मीडिया को सिर्फ मनोरंजन का हिस्सा मानते हैं, लेकिन इसके फायदे भी बेहतर हैं. दंपति ने सोशल मीडिया और कुछ चिकित्सा सहायता संगठनों के माध्यम से ही 16 करोड़ रुपये जुटाए हैं. हालांकि, क्या अब दवाओं पर आयात शुल्क में कोई मदद मिलेगी? इसके लिए कामत दंपती ने केंद्र सरकार से पत्राचार शुरू किया है. दंपती ने प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र भेजे हैं.

क्या है बच्ची की हालत

तीरा का इलाज कर रही बाल रोग विशेषज्ञ अनहिता हेगड़े ने कहा कि तीरा कुछ दिनों में घर जाएगी. वह वर्तमान में वेंटीलेटर पर है. वह अब बहुत बेहतर कर रही है. यह बीमारी उसके लिए सांस लेना मुश्किल कर रही है. खाने के लिए उसके पेट में एक ट्यूब डाली गई है. हम उसका कुछ दिनों में निर्वहन करेंगे. हालांकि, उन्हें अपने घर ले जाने के दौरान एक वेंटिलेटर लेना होगा.

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