मुंबई :शहर की बच्ची तीरा कामत का इलाज एसआरसीसी अस्पताल में चल रहा है. वह स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) नामक गंभीर बीमारी से पीड़ित है. जीन थेरेपी से बीमारी को ठीक करने के लिए इंजेक्शन की आवश्यकता होती है. हालांकि, इस इलाज की कीमत लगभग 16 करोड़ रुपये है. तीरा के माता-पिता ने क्राउड फंडिंग के माध्यम से धन जुटाया है. इन इंजेक्शनों पर दो से तीन करोड़ रुपये का आयात शुल्क लगता है. इसलिए तीरा के माता-पिता के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है. अब तीरा के माता-पिता ने मदद के लिए केंद्र व राज्य सरकार से गुहार लगाई है.
मुंबई के अंधेरी में रहने वाले प्रियंका और मिहिर कामत के घर 14 अगस्त 2020 को एक बच्ची ने जन्म लिया. उसका नाम तीरा है. बेबी तीरा को दो सप्ताह के बाद दूध पीने में परेशानी होने लगी. उसकी हालत देखने के बाद उसे तुरंत बाल रोग विशेषज्ञ के पास ले जाया गया. जहां एक दौर के परीक्षण के बाद उन्हें 24 अक्टूबर को स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) का पता चला. इस बीमारी की दवा जीन थेरेपी का एक इंजेक्शन है. हालांकि, इसकी कीमत बहुत अधिक लगभग ₹16 करोड़ है. जैसे ही माता-पिता को यह बीमारी की जानकारी हुई उनकी पूरी दुनिया ही मानों वीरान हो गई.
आयात शुल्क बना समस्या
चूंकि यह बीमारी दुर्लभ है, इसलिए देश में इसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं थी. हालांकि, दंपती को जल्द ही एहसास हो गया कि उन्हें अमेरिकी फार्मा कंपनी से महंगी दवाएं मिल सकती हैं. इस उपचार के लिए आवश्यक इंजेक्शन की लागत 16 करोड़ रुपये है. राशि को बड़ा मानकर क्राउड फंडिंग का विकल्प चुना गया. तीरा के माता-पिता की इच्छा के अनुसार कुछ ही महीनों के भीतर राशि प्राप्त हो गई. लेकिन अब उनके सामने एक और समस्या आ गई है कि भारत में दवा लाने के लिए आयात शुल्क के रूप में उन्हें 2 से 5 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा.
क्या है यह बीमारी