नई दिल्ली :दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले भारत के दो सदनों वाली संसद के महत्वपूर्ण शीतकालीन सत्र का इस वर्ष आयोजन नहीं हो सकता. इसका कारण है कि हाल के दिनों में कोविड के मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए इसके कुछ सदस्य सत्र में भाग लेने के लिए देश की राजधानी दिल्ली आने के इच्छुक नहीं हैं. इस मामले के जानकार एक व्यक्ति ने यह बात कही. उस व्यक्ति ने कहा कि हम सांसदों से बात कर रहे हैं ... लेकिन ऐसा लग रहा है कि उनकी दिल्ली आने की इच्छा नहीं हैं.
मूर्तियों के लिए मशहूर गुजरात के शहर केवडिया में होने वाले पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन को लेकर एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति के स्तर से लिया जाएगा. बिरला ने एक सवाल के जवाब में कहा कि राजनीतिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीएसीपी) शीतकालीन सत्र आयोजित करने के मुद्दे पर विचार करेगी. जब भी कोई निर्णय लिया जाएगा, आपको (मीडिया) को सूचित किया जाएगा.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दीपावली से ठीक पहले बुधवार (11 नवंबर) को एक दिन में कोविड-19 के सबसे अधिक 8 हजार 593 नए मामले दर्ज किए गए. गुरुवार (12 नवंबर) को पांच महीनों में एक दिन में सबसे अधिक 104 मौते दर्ज की गईं. कोविड के बढ़ते मामलों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शहर में मास्क नहीं पहनने वालों पर जुर्माना तीन सौ फीसद बढ़ाते हुए 500 रुपए से दो हजार रुपए करने के लिए मजबूर कर दिया.
कोविड के बढ़ते मामलों ने मानसून सत्र को छोटा कर दिया
भारत में सामान्य परिस्थितियों में एक वर्ष में संसद के तीन सत्र का आयोजन होता है. हर साल जनवरी-फरवरी में आयोजित होने वाले पहले सत्र को बजट सत्र के रूप में जाना जाता है. दूसरे सत्र का आयोजन आमतौर पर जुलाई-अगस्त में किया जाता है, उसे मानसून सत्र के रूप में जाना जाता है. उसके बाद शीतकालीन सत्र होता है जो सामान्य तौर पर हर साल नवंबर-दिसंबर में आयोजित होता है. हालांकि, इस साल के मानसून सत्र के दौरान व्यापक स्तर पर व्यवस्था किए जाने के बावजूद सांसदों और अधिकारियों के बीच कोविड मामलों की संख्या बढ़ती देखी गई स्वास्थ्य मंत्रालय के कोविड प्रोटोकॉल के अनुसार सांसदों के बैठने की व्यवस्था करने के बावजूद ऐसा हुआ. इसकी वजह से जैसे ही केंद्रीय बजट, खेत और श्रम कानूनों से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण विधेयक लोकसभा और राज्यसभा से पारित किए गए सरकार को मानसून सत्र को रोकने के लिए बाध्य होना पड़ा.
मानसून सत्र में दो मंत्री, 30 सांसद संक्रमित
परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी और संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री प्रह्लाद पटेल कम से कम दो ऐसे केन्द्रीय मंत्री हैं जो इस वर्ष मानसून सत्र के दौरान वायरस से संक्रमित हुए. इन दो मंत्रियों के अलावा करीब 30 सांसद भी कोविद पॉजिटिव पाए गए. खबरों के अनुसार, उनमें से कम से कम 20 में मानसून सत्र में भाग लेने के दौरान वायरस का संक्रमण हुआ, जिसके कारण सरकार और विपक्ष के बीच सत्र को रोकने के लिए सहमति बनी. वास्तव में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू भी मानसून सत्र के बाद जांच में कोविड पॉजिटिव पाए गए.
कोविड का इस वर्ष बजट और मानसून सत्र दोनों पर प्रभाव पड़ा