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Published : Aug 8, 2019, 3:02 AM IST

Updated : Aug 8, 2019, 3:57 AM IST

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लद्दाख भारत के लिये अनमोल रत्न, जिसे नरेंद्र मोदी ने समझा: सांसद छेरिंग नामग्याल

लद्दाख अब जम्मू-कश्मीर से अलग होकर केंद्र शासित प्रदेश बन गया है. केंद्र के इस फैसले को लेकर ईटीवी भारत ने लद्दाख से सांसद छेरिंग नामग्याल से खास बातचीत की और उनकी राय जानी......

लद्दाख सांसद छेरिंग नामग्याल.

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य में धारा 370 को हटा दिया है. इसी के साथ अब जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया गया है. लद्दाख को बिना विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया है. इसे लेकर लद्दाख के सांसद छेरिंग नामग्याल ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की और इस फैसले पर उनकी राय जानी.

ईटीवी भारत से बातचीत करते छेरिंग नामग्याल.

लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने को लेकर अमित शाह की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि काफी समय से वहां के लोगों की मांग थी कि इसे अलग केंद्र शासित प्रदेश की मान्‍यता मिले, ताकि यहां रहने वाले लोग अपने लक्ष्यों को हासिल कर सकें.

लद्दाख के सांसद छेरिंग नामग्याल ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने पर सभी को बधाई. 70 साल के बाद हमें अपना लक्ष्य हासिल हुआ है. यह सब केंद्रीय सरकार के कारण हुआ है.

उन्होंने कहा, 'लद्दाख में यूं तो भ्रष्टाचार ना के बराबर है, लेकिन देश में लद्दाख एक मॉडल कैसे बने अब इस ओर ध्यान देना होगा.'

ईटीवी भारत से बातचीत करते छेरिंग नामग्याल.

सांसदस नामग्याल ने कहा, 'लद्दाख को कुछ लोगों ने केवल भूमि के टुकड़े के रूप में देखा है. लेकिन लोग इस बात से अंजान हैं कि लद्दाख भारत का वह हिस्सा है जो भारत-चीन की सीमा पर है, वह हिस्सा है जहां सोलर का अच्छा स्कोप है, वह हिस्सा है जो दुनिया में टूरिज्म के लिये माना जाता है, वह सांस्कृति रूप से धनी है. यह भारत के लिये अनमोल रत्न है. इसे केवल नरेंद्र मोदी ने समझा.'

लद्दाख के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, 'लद्दाख में लेह और कारगिल दो जिले आते हैं. 1947 के बाद जितने भी युद्ध हुए 99 प्रतिशत लद्दाख में हुए हैं. लेकिन लोगों ने केवल इसे युद्ध के क्षेत्र के तौर पर ही देखा है. उन्होंने ये नहीं देखा कि वहां के लोगों ने कितना बलिदान दिया. 70 साल पहले नेहरू ने जो ब्लंडर किया बच्चा-बच्चा जानता है. अब आगे जाकर सभी यही कहेंगे कि साल 2019 में मोदी जी ने बेहतरीन काम किया है. अभी कोई भी इसके बारे में कुछ नहीं कहेगा. लेकिन आगे जाकर सभी इसे सराहेंगे.'

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बता दें, लद्दाख उत्तर में काराकोरम पर्वत और दक्षिण में हिमालय पर्वत के बीच में है. लद्दाख के उत्तर में चीन तथा पूर्व में तिब्बत की सीमाएं हैं. सीमावर्ती स्थिति के कारण सामरिक दृष्टि से इसका बड़ा महत्व है. लद्दाख समुद्र की सतह से 9842 फीट की ऊंचाई पर स्थित है. लद्दाख की राजधानी एवं प्रमुख नगर लेह है, जिसके उत्तर में कराकोरम पर्वत तथा दर्रा है.

लद्दाख क्षेत्र की आबादी लेह और करगिल जिलों के बीच आधे हिस्से में विभाजित है. 2011 की जनगणना के अनुसार है, करगिल की कुल जनसंख्या 140,802 है जिसमें 76.87 प्रतिशत आबादी मुस्लिम (ज्यादातर शिया) है. जबकि लेह की कुल जनसंख्या 133,487 है जिसमें 66.40 प्रतिशत बौद्ध हैं. इस हिसाब से लद्दाख की कुल जन संख्या 2,74,289 लाख है.

लद्दाख में कई स्थानों पर मिले शिलालेखों से पता चलता है कि यह स्थान नव-पाषाणकाल से स्थापित है. सिन्धु नदी लद्दाख की जीवन रेखा है. ज्यादातर ऐतिहासिक और वर्तमान स्थान जैसे कि लेह, शे, बासगो, तिंगमोसगंग सिन्धु किनारे ही बसे हैं. 1947 के भारत-पाक युद्ध के बाद सिन्धु का मात्र यही हिस्सा लद्दाख से बहता है. सिन्धु हिन्दू धर्म में एक पूजनीय नदी है, जो केवल लद्दाख में ही बहती है.

Last Updated : Aug 8, 2019, 3:57 AM IST

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