नई दिल्ली :कृषि सुधार कानून के विरोध में देश भर के किसान संगठन लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से सम्बद्ध किसान इकाई भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि सुधार कानून वास्तव में किसानों के लिए नहीं बल्कि व्यापारियों के लिए हैं.
ईटीवी भारत ने भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा से विशेष बातचीत की. बातचीत के दौरान उन्होंने कृषि कानूनों पर खुल कर अपने विचार साझा किए. उन्होंने कहा कि तीनों कानून में व्यापारियों का फायदा जरूर दिखता है लेकिन किसानों के फायदे के लिए इन्हें और दुरुस्त करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों में जरूरी बदलाव नहीं किए गए तो देश का किसान व्यापारियों के जाल में फंस जाएगा.
आवश्यक वस्तु अधिनियम
नए कानून में एक देश एक बाजार और मंडियों के टैक्स को खत्म करने का किसान संघ ने स्वागत किया है, लेकिन आवश्यक वस्तु अधिनियम पर किसान संघ के अपने सुझाव हैं. बीकेएस का कहना है कि इसको खत्म नहीं करना चाहिए था.
मोहिनी मोहन ने कहा कि जब अध्यादेश लाए गए उस समय से ही भारतीय किसान संघ (बीकेएस) द्वारा कुछ बदलावों की मांग की जा रही है. आम तौर पर मंडियों की यह परंपरा बन चुकी है कि किसान के उत्पाद को गुणवत्ता के नाम पर पहले खरीदने से इनकार किया जाता है. फिर बाद में उसे सस्ते दामों पर खरीदा जाता है. उन्होंने कहा कि किसानों में मंडियों के इस रवैये के प्रति नाराजगी है, जिसे दूर किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि तय न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे खरीद पर रोक लगाए जाने पर यह समस्या दूर हो सकती है.
किसान-व्यापारी दोनों के पास हों पूरी सूचनाएं
उन्होंने बताया, बीकेएस का दूसरा सुझाव है कृषि क्षेत्र में खरीद करने वाली कंपनियों और व्यापारियों का ब्यौरा सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध हो. उन्होंने कहा कि सरकार के बनाए कानून के अनुसार कोई भी व्यापारी जिसके पास पैन कार्ड है वह किसानों से खरीद कर सकता है, लेकिन भारतीय किसान संघ की मांग है कि सभी व्यापारियों के बारे में पूरी सूचना सरकार और किसान दोनों के पास उपलब्ध होनी चाहिए.
किसान संघ के तीसरे सुझाव पर मोहिनी मोहन ने कहा, 'भुगतान संबंधी सुरक्षा के तहत किसानों को बैंक गारंटी की सुविधा मिलनी चाहिए, यदि कोई व्यापारी या कंपनी किसान से खरीद कर उसका भुगतान नहीं करती है तो ऐसे में बैंक गारंटी से उसे सुरक्षा मिलेगी और कोई उनके साथ धोखाधड़ी नहीं कर पाएगा.'
किसानों के लिए बने अलग अदालत
उन्होंने बताया कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के तहत यदि किसान और कंपनी के बीच किसी तरह का विवाद होता है उसके लिए डीएम या एसडीएम स्तर के अधिकारी इसका निष्पादन करेंगे लेकिन किसान संघ की मांग है कि किसानों के लिए अलग से किसान कोर्ट स्थापित किए जाएं जहां केवल कृषि और किसानों से संबंधित मामलों का निष्पादन हों.
एमएसपी कानून का हिस्सा बने