नई दिल्ली : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि 18 दिसंबर को दोपहर 2 बजे मध्य प्रदेश में आयोजित होने वाले किसान सम्मेलनों को पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित करेंगे.
इस बीच किसान आंदोलन पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी आदेश जारी नहीं किया. कोर्ट में सुनवाई टल गई है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा वैकेशन बैंच में मामले की सुनवाई होगी. कोर्ट ने कहा किसान संगठनों की बात सुनने के बाद ही आदेश जारी किया जाएगा. उच्चतम न्यायालय ने संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिये वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है.
पीएम मोदी ने गुजरात के कच्छ में आयोजित एक कार्यक्रम में कृषि कानून का विरोध कर रहे लोगों को आड़े हाथों लिया था. उन्होंने तीन कृषि कानूनों के खिलाफ राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर जारी किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों की 'साजिश' करार देते हुए कहा था कि किसानों का कल्याण उनकी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में रहा है और उनकी शंकाओं के समाधान के लिए सरकार चौबीसों घंटे तैयार है.
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा और कहा कि कृषि सुधारों की मांग वर्षों से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को कहीं पर भी अनाज बेचने का विकल्प दिया जाए.
मोदी ने कहा कि आज देश ने जब यह 'ऐतिहासिक कदम' उठा लिया तो विपक्षी दल किसानों को भ्रमित करने में जुट गए हैं जबकि वे जब सत्ता में थे, तब ऐसे कृषि सुधारों की वकालत करते थे.
प्रधानमंत्री ने कहा, 'आज कल दिल्ली के आसपास किसानों को भ्रमित करने की बड़ी साजिश चल रही है. उन्हें डराया जा रहा है कि कृषि सुधारों के बाद किसानों की जमीन पर कब्जा कर लिया जाएगा.' उन्होंने कहा कि हाल में हुए कृषि सुधारों की मांग वर्षों से की जा रही थी और अनेक किसान संगठन भी यह मांग करते थे कि किसानों को उनका अनाज कहीं पर भी बेचने का विकल्प दिया जाए.
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मोदी ने कहा, 'आज जो लोग विपक्ष में बैठकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं, वह भी अपनी सरकार के समय इन कृषि सुधारों के समर्थन में थे. लेकिन अपनी सरकार के रहते वे निर्णय नहीं ले पाए. किसानों को झूठे दिलासे देते रहे.'
उन्होंने कहा, 'मैं अपने किसान भाइयों बहनों को बार-बार दोहराता हूं. उनकी हर शंका के समाधान के लिए सरकार 24 घंटे तैयार है. किसानों का हित पहले दिन से हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक रहा है. खेती में किसानों का खर्च कम हो, उनकी आय बढ़े और मुश्किलें कम हों, नये विकल्प मिलें इसके लिए हमने निरंतर काम किया है.'
बता दें कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कल बुधवार को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में किसान सम्मेलन में कहा कि जल्द ही आंदोलन खत्म होगा. साथियों ने कहा कि विपक्षी दल देश भर में किसानों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. वह सफल नहीं होंगे. साथ ही उन्होंने ने कहा कि केवल पंजाब ही राज्य ऐसा है जो कृषि कानून का विरोध कर रहा है इसके पीछे बहुत सारे कारण हैं.
किसानों के आंदोलन की हर पल की खबरें-
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आंदोलन पर कृषि मंत्री के सवाल
गौरतलब है कि विगत 26 नवंबर से शुरू हुए आंदोलन के संबंध में भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्रियों की तरफ से कई बार ऐसे बयान भी दिए गए हैं, जिससे दोनों पक्षों (सरकार-किसान) के बीच का गतिरोध गहराता दिखाई देता है. खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमिर ने किसानों के आंदोलन के दौरान दिल्ली दंगों के आरपियों की रिहाई की मांग को लेकर सवाल खड़े किए थे.