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PM मोदी बोले- सिविल सेवा को राष्ट्रीय एकता का माध्यम बनाना पटेल का विजन

पीएम नरेंद्र मोदी ने सरदार पटेल की जयंती पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में आईएएस अधिकारियों को संबोधित किया. जानें क्या कुछ कहा उन्होंने...

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Published : Oct 31, 2019, 7:52 PM IST

Updated : Oct 31, 2019, 8:29 PM IST

पीएम मोदी

अहमदाबाद/केवडिया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केवडिया में सरदार पटेल की जयंती पर सिविल सेवा (आईएएस) प्रशिक्षुओं से मुलाकात की. पीएम मोदी ने आईएएस अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि सिविल सेवा को राष्ट्र निर्माण और राष्ट्रीय एकता का अहम माध्यम बनाने का विजन स्वयं सरदार पटेल का था.

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि सरदार पटेल के शब्द अंतर्मन को छू जाते हैं, निस्वार्थ भाव से किए गए कार्य न्यू इंडिया की नींव हैं. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को अपने जिले की एक बड़ी समस्या पर काम करके उसका समाधान करना चाहिए.

पीएम मोदी के संबोधन के अंश :

  • हमें इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि सामान्य नागरिक को रोजमर्रा की चीजों से जूझना न पड़े. हमें ये ध्यान रखना होगा कि सामान्य मानवी की जिंदगी सरकार के प्रभाव में दब न जाए और गरीब की जिंदगी सरकार के अभाव में दम न तोड़ दे.
    IAS अधिकारियों को संबोधित करते पीएम मोदी
  • आज पूरे भारत में हम देख रहे हैं कि नागरिक पहले से ज्यादा जागरूक हैं, संवेदनशील हैं. सरकार कोई भी मदद मांगे, एक आवाज लगाए या किसी मुहीम में शामिल होने को कहे तो लोग खुशी-खुशी उसमें शामिल हो जाते हैं. इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है हम देशवासियों की ईज ऑफ लिविंग को बढ़ाएं.
  • हमारे फैसलों और नीतियों को लेकर जो फीडबैक आता है उसका ईमानदार आंकलन जरूरी है. ऐसा नहीं होना चाहिए कि जो हमारी आंखों और कानों अच्छा लगे, वही देखना और सुनना है. हमें फीडबैक प्राप्त करने के दायरे का विस्तार करने के साथ ही विरोधियों की बातों को भी सुनना चाहिए.
  • सिविल सेवाओं को लेकर अफसरशाही की, रौब की एक छवि रही है. इस छवि को छोड़ने में कुछ लोग पूरी तरह सफल नहीं हो पाए हैं. इस छवि को छोड़ने का पूरा प्रयत्न होना चाहिए.
  • ब्यूरोक्रेसी और सिस्टम आज दो ऐसे शब्द बन गए हैं जिनकी अपने आप में नेगेटिव छवि बन गयी है. आखिर ये हुआ क्यों? जबकि अधिकतर अफसर मेहनती भी हैं.
    IAS अधिकारियों के साथ पीएम मोदी
  • अपने सभी निर्णयों को आप ब्यूरोक्रेट्स ने दो कसौटियों पर जरूर कसना चाहिए. एक, जो महात्मा गांधी ने रास्ता दिखाया था कि आपका फैसला समाज के आखिरी छोर पर खड़े व्यक्ति की आशा, आकांक्षाओं को पूरा करता है या नहीं.
  • आपके निर्णय को गांधी जी द्वारा निर्देशित समाज के अंतिम पायदान पर खड़े आदमी की जरूरतों को पूरा करने में मदद करनी चाहिए. आपके निर्णय से देश की एकता और अखंडता मजबूत होनी चाहिए.
  • आप जो भी निर्णय लेते हैं,उसमें क्षेत्रीय या स्थानीय दृष्टिकोण हो सकते हैं, लेकिन परिप्रेक्ष्य राष्ट्रीय होना चाहिए. आपके द्वारा किए गए निर्णय आपके जिले या क्षेत्र के लिए होंगे,लेकिन आपको राष्ट्र-निर्माण में इसके योगदान को भी समझना होगा.

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  • यह आपके लिए सिर्फ नौकरी या करियर विकल्प नहीं है. सेवा आपका मुख्य उद्देश्य होना चाहिए. आपके द्वारा की जाने वाली प्रत्येक कार्रवाई, आपके द्वारा किए गए प्रत्येक हस्ताक्षर लाखों लोगों को प्रभावित करते हैं.
  • सरदार साहब ने ही याद दिलाया था कि ये ब्यूरोकेसी ही है जिसके भरोसे हमें आगे बढ़ना है, जिसने रियासतों के विलय में अहम योगदान दिया था. सरदार पटेल ने दिखाया है कि सामान्य जन के जीवन में सार्थक बदलाव के लिए हमेशा एक बुलंद इच्छाशक्ति को होना जरूरी होता है.
Last Updated : Oct 31, 2019, 8:29 PM IST

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